अंकिता भाकट - एक बढ़ती हुई खिलाड़ी




कैसा लगा एशिया कप?
मुझे एशिया कप में भारत के लिए खेलना बेहद गर्व की बात है. यह एक शानदार अनुभव था और मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. हमने टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया और चौथे स्थान पर रहे.
आपको हॉकी खेलने की प्रेरणा कहां से मिली?
मैं जब छोटी थी तो क्रिकेट देखती थी और मुझे लगता था कि यह एक बहुत ही रोमांचक खेल है. लेकिन जब मैंने हॉकी की स्टिक पहली बार पकड़ी, तो मुझे एहसास हुआ कि यह मेरा असली जुनून है. हॉकी मुझे चुनौती देती है और मुझे लगता है कि मैं इस खेल के माध्यम से खुद को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकती हूं.
आप हॉकी में अपने करियर को आगे कैसे बढ़ाना चाहती हैं?
मैं भारतीय टीम के लिए और अधिक मैच खेलना चाहती हूं और उनके साथ कई ट्रॉफी जीतना चाहती हूं. मैं विदेशी क्लबों के लिए भी खेलना चाहती हूं और वहां अपने कौशल को और निखारना चाहती हूं.
आपकी सबसे बड़ी ताकत और कमजोरी क्या है?
मेरी सबसे बड़ी ताकत मेरी गति और चपलता है. मैं गेंद को अच्छी तरह से संभाल सकती हूं और मैं बहुत जल्दी सोच सकती हूं. मेरी कमजोरी यह है कि मैं कभी-कभी बहुत आक्रामक हो जाती हूं और मैं अपनी गलतियों से जल्दी निराश हो जाती हूं.
आपकी हॉकी जर्नी में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही है?
मेरी हॉकी जर्नी में सबसे बड़ी चुनौती मेरे परिवार को मनाना था कि मुझे हॉकी खेलने दिया जाए. मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं पढ़ाई पर ध्यान दूं, लेकिन मुझे पता था कि हॉकी मेरा सच्चा जुनून है. अंततः, वे मेरी इच्छाओं को समझ गए और मुझे अपना सपना पूरा करने के लिए अपना समर्थन दिया.
आप युवा खिलाड़ियों को क्या सलाह देंगी?
मैं युवा खिलाड़ियों को सलाह दूंगी कि वे अपने सपनों का पीछा करें और कभी हार न मानें. अगर आप किसी चीज को लेकर जुनूनी हैं, तो आप उसे हासिल कर सकते हैं. बस कड़ी मेहनत करते रहें और कभी हार न मानें.
आपको किस बात से प्रेरणा मिलती है?
मुझे अपनी टीम के साथियों, मेरे कोच और मेरे परिवार से प्रेरणा मिलती है. मैं बड़ी हॉकी खिलाड़ियों, जैसे कि रानी रामपाल और दीपिका ठाकुर को भी देखती हूं और उनसे प्रेरणा लेती हूं.