प्रतिका रावल, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उभरती हुई सितारा, एक ऐसी खिलाड़ी हैं जिनकी कहानी हर माता-पिता को अपने बच्चों को खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
दिल्ली की रहने वाली प्रतिका की कहानी उस असली जुनून और प्रतिभा की गवाही है जो उन्हें मैदान पर और मैदान के बाहर ले जाती है। लेकिन उनकी यात्रा आसान नहीं रही है।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही क्रिकेट खेलना शुरू किया था, लेकिन उन्हें वह सहयोग नहीं मिल पाया जिसकी उन्हें उम्मीद थी। स्कूल के दिनों में, उन्हें केवल पुरुषों की टीम में खेलने का मौका मिला।
हालांकि, प्रतिका के मन में क्रिकेट के लिए जुनून और लगन थी। उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह लगातार अभ्यास करती रही और अपने खेल को निखारती रही।
प्रतिका को उनके परिवार का बहुत सहयोग मिला। उनके माता-पिता ने हमेशा उनका समर्थन किया, भले ही उन्हें महिला क्रिकेट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उनके भाई और बहन भी उनके लिए एक प्रेरणा थे।
प्रतिका के कौशल और समर्पण ने जल्द ही उन्हें पहचान दिलाई। उन्हें दिल्ली की राज्य टीम के लिए चुना गया, और वहां से उनकी सफलता का सिलसिला जारी रहा। उन्होंने भारतीय महिला ए टीम और अंडर-19 टीम का प्रतिनिधित्व किया, और अंततः उन्हें वरिष्ठ भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह मिली।
प्रतिका एक ऑल-राउंडर हैं जो बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं। वह एक ऊपरी क्रम की बल्लेबाज हैं जो आक्रामक और रक्षात्मक दोनों शैलियों में खेल सकती हैं। वह एक मध्यम गति की गेंदबाज भी हैं जो अपनी सटीकता और विविधता के लिए जानी जाती हैं।
प्रतिका का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है। वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं, और उन्हें भविष्य का कप्तान भी माना जा रहा है। वह अपनी प्रतिभा, कड़ी मेहनत और समर्पण से दुनिया भर के लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही हैं।
प्रतिका रावल की कहानी हमें यह सिखाती है कि कुछ भी असंभव नहीं है अगर आपके पास जुनून और दृढ़ संकल्प है। यह माता-पिता को अपने बच्चों को खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक अनुस्मारक है, भले ही वे लड़के हों या लड़कियां। खेल केवल मनोरंजन ही नहीं है, बल्कि यह बच्चों को जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और मूल्य भी सिखाता है।