अतिथि देवो भवः - एक कहावत जो सदियों से चली आ रही है। अतिथि का अर्थ है सम्मानित अतिथि और जब भी कोई व्यक्ति आपके घर आता है, तो उनकी सेवा करना एक सम्मान की बात होती है। भारत में, अतिथियों को भगवान के रूप में माना जाता है और उनका स्वागत पूरे दिल से किया जाता है।
मुझे याद है कि जब मैं छोटा था, तो मेरे दादा जी अपने दोस्त के साथ हमारे घर आए थे। मेरे दादाजी के दोस्त एक बुजुर्ग व्यक्ति थे और वे बहुत दूर से आए थे। मेरे माता-पिता काम पर थे, इसलिए मुझे उनकी देखभाल करने के लिए छोड़ दिया गया।
मैं उनके साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक था और उन्हें अपनी पसंदीदा चीज़ें दिखाने के लिए उत्सुक था। हमने पूरे दिन साथ बिताया, बातें कीं, हंसे और घर के आसपास खेले।
यह एक अविस्मरणीय अनुभव था। मैंने उस दिन बहुत कुछ सीखा, और मैंने अपने दादा जी के दोस्त के साथ बहुत सारी मज़ेदार यादें बनाईं। मुझे एहसास हुआ कि अतिथि वास्तव में हमारे जीवन में विशेष हैं, और उनकी सेवा करना एक सम्मान की बात है।
जब कोई अतिथि आपके घर आता है, तो वह आपके चरित्र का प्रतिबिंब होता है। यदि आप दयालु और उदार हैं, तो वे भी आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करेंगे। लेकिन अगर आप असभ्य और स्वार्थी हैं, तो वे भी आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करेंगे।
यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आप अपने अतिथियों की देखभाल कैसे कर सकते हैं:
जब आप अतिथियों की देखभाल करते हैं, तो आप न केवल उन्हें खुशी देते हैं, बल्कि आप अपने जीवन में भी खुशी लाते हैं। अतिथि हमारे जीवन में खुशियाँ और आशीर्वाद लाते हैं, इसलिए उनका सम्मान करें और उनकी सेवा करें।
तो अगली बार जब कोई अतिथि आपके घर आए, तो उसे देवो भवः की तरह स्वीकार करें। उनकी देखभाल करें, उनका स्वागत करें और उन्हें एक अच्छा समय दें। आपका अतिथि आपके जीवन में एक खुशी का स्रोत होगा, और आप उनके आने से धन्य महसूस करेंगे।