अनुज रावत: भारत का गुप्त हथियार




एक अंधेरी रात में, जबकि चंद्रमा बादलों के पीछे छिपा था, एक आदमी सुरक्षा के घेरे को तोड़कर भारतीय सेना के एक प्रतिष्ठित शिविर में घुस गया। वह चुस्त था, फुर्तीला था और अपने मिशन में अटूट था।
अचानक, एक गश्ती दल ने घुसपैठिए की हरकत भांप ली। वे उसकी ओर बढ़े, हथियार ताने। लेकिन वह आदमी उनके लिए बहुत तेज था। उसने एक हल्का सा दौड़कर गार्ड को चकमा दिया और उनकी बंदूकों से बाल-बाल बच गया।
इस आदमी का नाम अनुज रावत था। वह भारतीय सेना का एक गुप्त हथियार था।
अपनी असाधारण क्षमताओं के लिए जाना जाने वाला रावत एक उच्च प्रशिक्षित कमांडो था। उसकी विशेषता चुपके, जासूसी और घातक युद्ध कौशल में थी। वह एक छाया की तरह था, अदृश्य और अप्रत्याशित।
रावत एक गरीब परिवार से आया था। वह बचपन से ही सेना को जीना चाहता था और अपने देश के लिए लड़ने के लिए दृढ़ था। अपने सपने को पूरा करने के लिए, उसने भारतीय सेना की विशेष बल इकाई, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) में शामिल होने का कठिन प्रशिक्षण लिया।
NSG में, रावत ने जल्द ही अपनी प्रतिभा साबित कर दी। वह अपनी कुशाग्रता, तेज प्रतिक्रिया और साहस के लिए जाना जाने लगा। उन्हें कई महत्वपूर्ण मिशनों पर भेजा गया, जहां उन्होंने दुश्मन के ठिकानों में घुसपैठ की, महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई और लक्ष्यों को खत्म किया।
रावत की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक 2013 में उसके द्वारा मारे गए एक कुख्यात आतंकवादी का उन्मूलन था। आतंकवादी एक भीड़-भाड़ वाले बाजार में छिपा हुआ था, बम ले जा रहा था जिससे सैकड़ों निर्दोष लोग मारे जा सकते थे।
रावत ने अपनी जान की परवाह किए बिना बाजार में घुसपैठ की। उसने चुपके से आतंकवादी के करीब आकर, उसे मार गिराया और बम को निष्क्रिय कर दिया। उसकी वीरता के लिए, रावत को भारत सरकार ने महावीर चक्र से नवाजा, जो वीरता का सर्वोच्च पुरस्कार है।
इस घटना के बाद से, रावत एक राष्ट्रीय नायक बन गया। उन्हें भारत का गुप्त हथियार कहा जाने लगा, एक ऐसा व्यक्ति जिस पर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश भरोसा कर सकता है।
हालांकि, रावत अपनी उपलब्धियों के बारे में विनम्र है। वह कहता है कि वह बस अपना काम कर रहा है, देश की रक्षा कर रहा है और लोगों की जान बचा रहा है।