अन्नू रानी: भारत की नई भाला फेंक स्टार




भारत के एथलेटिक्स जगत में एक नया सितारा उभरा है, जिसका नाम है अन्नू रानी। यह हरियाणा की रहने वाली भाला फेंकने वाली एथलीट ने अपनी असाधारण प्रतिभा और कड़ी मेहनत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।

प्रारंभिक जीवन और कैरियर:

अन्नू रानी का जन्म 29 अगस्त, 1992 को हरियाणा के सोनीपत जिले के महम गांव में हुआ था। बचपन से ही उन्हें खेलों में गहरी रुचि थी। 12वीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान, उन्हें भाला फेंक में अपनी प्रतिभा का पता चला। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया और जल्द ही अपनी जीत से सबको प्रभावित किया।

अंतर्राष्ट्रीय सफलता:

2014 में, अन्नू रानी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लिया और रजत पदक जीता। यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय सफलता थी। इसके बाद, उन्होंने 2015 एशियाई चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीता। 2016 में, उन्होंने रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, हालांकि वह पहले राउंड से आगे नहीं बढ़ पाईं।

2019 में, अन्नू रानी ने दोहा में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। यह एक ऐतिहासिक जीत थी, क्योंकि भाला फेंक में भारत को पहला एशियाई खिताब दिलाया था। उन्होंने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता, जिससे वह इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में लगातार दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं।

प्रशिक्षण और कड़ी मेहनत:

अन्नू रानी की सफलता का राज उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण है। वह सुबह जल्दी उठकर घंटों अभ्यास करती हैं। उनके कोच, रवि कुमार, उनकी प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अन्नू रानी का मानना है कि कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने से ही सफलता हासिल की जा सकती है।

भविष्य की संभावनाएं:

अन्नू रानी एक उभरते हुए सितारे हैं, जिनके पास भविष्य में और भी अधिक सफलताएं अर्जित करने की क्षमता है। वह 2024 पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद कर रही हैं। उनकी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प से, वह निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में भारत के एथलेटिक्स जगत में अपना नाम और अधिक रोशन करेंगी।

अन्नू रानी की कहानी प्रेरणा और दृढ़ संकल्प की एक कहानी है। वह भारत की लाखों युवा लड़कियों के लिए एक आदर्श हैं, जो दिखाती हैं कि कड़ी मेहनत और जुनून से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है।