अनुराग ठाकुर — भारत के वर्तमान केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री




भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति, अनुराग ठाकुर वर्तमान में भारत के केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री हैं। अपनी शक्तिशाली उपस्थिति और स्पष्टवादी बयानों के लिए जाने जाने वाले ठाकुर एक करिश्माई राजनेता हैं जिन्होंने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है।

1974 में जन्मे, ठाकुर का पालन-पोषण हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में एक राजनीतिक परिवार में हुआ। उनके पिता, प्रेम कुमार धूमल, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने उनके राजनीतिक करियर को बहुत प्रभावित किया। ठाकुर ने अपने कॉलेज के दिनों में ही अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कर दी थी। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हो गए, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) की छात्र शाखा है।

2002 में, ठाकुर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 28 वर्ष की आयु में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़कर की। वह हमीरपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीते और 2006 और 2009 में फिर से चुने गए। अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान, उन्होंने कई मंत्री पद संभाले हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार, जिसमें ऊर्जा, संसदीय मामलों और खेल शामिल हैं।

2014 में, ठाकुर ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर हमीरपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से जीते। उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार में वित्त राज्य मंत्री नियुक्त किया गया और बाद में उन्हें खेल और युवा मामलों का राज्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया।

एक केंद्रीय मंत्री के रूप में, ठाकुर ने कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की है। खेल मंत्री के रूप में, उन्होंने "खेलो इंडिया" पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारत में खेलों को बढ़ावा देना और युवा प्रतिभाओं को निखारना है। उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में भारत के सबसे सफल ओलंपिक प्रदर्शन की देखरेख की, जहां देश ने दो पदक जीते।

ठाकुर की ताकत और कमजोरियां
  • ताकत: एक करिश्माई और लोकप्रिय नेता, साफ-सुथरी छवि, स्पष्टवादी और मुखर, प्रशासनिक मामलों में मजबूत रिकॉर्ड
  • कमजोरियां: कभी-कभी विवादित बयान, संवेदनशील मुद्दों पर अड़ियल रुख, आलोचना के प्रति अतिसंवेदनशीलता
ठाकुर का राजनीतिक भविष्य

अनुराग ठाकुर को भारतीय राजनीति में एक उभरता हुआ सितारा माना जाता है। उनकी लोकप्रियता और करिश्मा उन्हें भाजपा के भविष्य के नेताओं में से एक बनाता है। यह देखना बाकी है कि वह अपनी ताकत को भुना पाते हैं और अपनी कमजोरियों को दूर कर पाते हैं या नहीं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति बने रहेंगे।