अपाड़ा एकादशी का अनोखा व्रत




प्रिय भक्तजनों, आइए आज हम आप सभी को अपाड़ा एकादशी की पौराणिक कथा सुनाएं। यह एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

व्रत की कथा

सतयुग में एक महान राजा हुआ करते थे, जिनका नाम महिष्मंत था। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे और प्रतिदिन उनकी पूजा-अर्चना करते थे। एक दिन, राज्य में एक भयानक अकाल पड़ा। लोग भूख और प्यास से मरने लगे।

राजा महिष्मंत इस स्थिति से बहुत दुखी थे। वे भगवान विष्णु से प्रार्थना करने लगे और उनसे राज्य को बचाने की विनती की। भगवान विष्णु ने राजा को स्वप्न दिया और उन्हें अपाड़ा एकादशी का व्रत करने का निर्देश दिया।

राजा महिष्मंत ने भगवान के निर्देशों का पालन किया और अपाड़ा एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से, राज्य में वर्षा हुई और अकाल समाप्त हो गया। तभी से, अपाड़ा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने और पापों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

व्रत का महत्व

अपाड़ा एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • सभी पापों से मुक्ति
  • मोक्ष की प्राप्ति
  • भाग्य और समृद्धि में वृद्धि
  • रोगों और दुखों से मुक्ति
  • परिवार में शांति और सद्भाव
व्रत की विधि

अपाड़ा एकादशी का व्रत विधि-विधान के साथ करना चाहिए। व्रत की विधि इस प्रकार है:

  1. एकादशी तिथि के दिन प्रातः काल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके सामने व्रत का संकल्प लें।
  3. एकादशी तिथि के दिन निर्जला व्रत करें या केवल फल और दूध का सेवन करें।
  4. रात में भगवान विष्णु की आरती करें और कथा सुनें।
  5. द्वादशी तिथि के दिन प्रातः काल भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं।
  6. व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।
निष्कर्ष

प्रिय भक्तजनों, अपाड़ा एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा पाने का एक अद्भुत अवसर है। इस व्रत को विधि-विधान के साथ करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आप सभी से अनुरोध है कि आप इस पवित्र व्रत को करें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।