अली खान : क्रिकेट का वो ध्रुव तारा जो चमकता ही गया




क्रिकेट की दुनिया में, ऐसे बहुत ही कम खिलाड़ी हैं, जो अपनी काबिलियत और प्रतिभा से ना केवल मैदान पर बल्कि मैदान से बाहर भी लोगों को मुरीद बना लेते हैं। अली खान ऐसे ही एक खिलाड़ी थे, जिन्होंने अपनी बल्लेबाजी से क्रिकेट के मैदान पर धूम मचा दी और अपनी सादगी और विनम्रता से लाखों दिलों को जीत लिया।

अली खान का जन्म 28 जनवरी, 1932 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। बचपन से ही क्रिकेट का शौक रखने वाले अली खान ने अपने खेल को निखारने के लिए कड़ी मेहनत की। उनकी प्रतिभा जल्द ही सबके सामने आ गई और उन्हें 1951 में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिल गई।

अली खान एक बेहतरीन बल्लेबाज थे। उनकी बल्लेबाजी शैली में क्लास और एलिगेंस का खूबसूरत मिश्रण था। वह अपने सटीक शॉट और शानदार टाइमिंग के लिए जाने जाते थे। अली खान ने अपने करियर में कई यादगार पारियां खेलीं, जिनमें से 1958 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर खेली गई 122 रनों की पारी सबसे यादगार है।

अली खान की बल्लेबाजी के अलावा, उनकी विनम्रता और सादगी ने भी उन्हें खास बनाया। वह मैदान पर अपने विरोधियों का सम्मान करते थे और मैदान से बाहर भी हमेशा एक सज्जन व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे। क्रिकेट के मैदान पर उनकी उपलब्धियों के साथ-साथ, अली खान अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी समझते थे। उन्होंने कई चैरिटी कार्यक्रमों में भाग लिया और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहे।


अली खान का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा था। उन्होंने कई शानदार पारियां खेलीं, लेकिन उन्हें अक्सर चोटों से भी जूझना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की। अली खान 1970 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले गए, लेकिन वह खेल से हमेशा जुड़े रहे। उन्होंने कई युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया और उन्हें अपने अनुभव से लाभान्वित किया।

अली खान का 13 मई, 2019 को निधन हो गया। उन्हें भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों में से एक माना जाता है और उनकी विरासत आज भी प्रासंगिक है। अली खान की बल्लेबाजी शैली, उनकी विनम्रता और उनकी सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में याद रखा जाएगा जो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बने।