असदुद्दीन ओवैसी: ज़ुबान के सिपाही, मुसलमानों के मसीहा
ओवैसी भाईयों का खानदान
ओवैसी परिवार का भारतीय राजनीति में एक लंबा और गौरवशाली इतिहास रहा है। असदुद्दीन ओवैसी के दादा, अब्दुल वाहिद ओवैसी, हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान के वज़ीर थे। उनके पिता, सुल्तान सलाउद्दीन ओवैसी, हैदराबाद विधानसभा के सदस्य थे और 1967 से 1972 तक आंध्र प्रदेश के गृह मंत्री रहे।
असदुद्दीन ओवैसी का जन्म 13 मई, 1969 को हैदराबाद में हुआ था। वह अपने भाई असदुद्दीन ओवैसी से बड़े हैं, जो 2004 से लोकसभा सांसद हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून की पढ़ाई पूरी की।
राजनीतिक करियर
असदुद्दीन ओवैसी ने 1994 में राजनीति में प्रवेश किया, जब वे हैदराबाद नगर निगम के लिए चुने गए। उन्होंने 1999 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। तब से, वह लगातार पांच बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने 2007 में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का गठन किया। पार्टी का मुख्यालय हैदराबाद में है और यह मुख्य रूप से भारत के मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है। एआईएमआईएम ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में चुनाव लड़ा है।
ओवैसी अपनी तीखी जुबान और मुसलमानों के अधिकारों के लिए लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस, गुजरात दंगों और भोपाल गैस त्रासदी जैसी कई घटनाओं पर मुखर रूप से बात की है।
ओवैसी पर सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया गया है। हालाँकि, उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वह सभी धर्मों और समुदायों के लिए लड़ रहे हैं।
विवादों से घिरे हुए
ओवैसी अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई विवादों में शामिल रहे हैं। 2012 में, उन पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि, बाद में उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया था।
2014 में, ओवैसी पर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।
2019 में, ओवैसी पर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान का समर्थन करने का आरोप लगाया गया था। हालाँकि, उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया है।
विवादों के बावजूद, ओवैसी मुस्लिम समुदाय के बीच एक लोकप्रिय व्यक्ति बने हुए हैं। उन्हें कई युवा मुसलमानों के लिए एक रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है।
चुनावी सफलता
एआईएमआईएम ने हाल के वर्षों में कई चुनावी सफलताएँ हासिल की हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में, पार्टी ने हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनाव में, पार्टी ने दो सीटें जीतीं, हैदराबाद और औरंगाबाद।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में, एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीतीं। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में, पार्टी ने एक सीट जीती।
एआईएमआईएम की चुनावी सफलता यह दर्शाती है कि मुस्लिम समुदाय के बीच पार्टी का समर्थन आधार बढ़ रहा है।
भविष्य की योजनाएँ
ओवैसी ने कहा है कि वह देश के अन्य राज्यों में एआईएमआईएम का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में अधिक सीटें जीतने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
ओवैसी का कहना है कि उनका लक्ष्य भारत को एक ऐसा देश बनाना है जहाँ मुसलमानों को एक समान नागरिक के रूप में माना जाए। उन्होंने कहा है कि वह मुसलमानों के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे और सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रयास करेंगे।