अफ़ग़ानिस्तान और भारत के बीच सदियों पुराना रिश्ता
अफगानिस्तान और भारत के संबंध सदियों पुराने हैं, जो हजारों वर्षों से सांस्कृतिक, व्यापारिक और राजनीतिक आदान-प्रदान द्वारा चिह्नित हैं। दोनों देश सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं और एक समृद्ध इतिहास साझा करते हैं।
प्राचीन इतिहास
अफगानिस्तान और भारत के बीच संबंध वैदिक काल में वापस आते हैं। वैदिक संस्कृति भारत और अफगानिस्तान दोनों में प्रचलित थी। अफगानिस्तान का प्राचीन नाम "आर्याना" था, जो आर्यों की भूमि को दर्शाता है। आर्य भारत और अफगानिस्तान दोनों के पूर्वज थे।
बौद्ध धर्म का प्रसार
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, बौद्ध धर्म अफगानिस्तान में फैल गया। बौद्ध धर्म भारत से आया था और यह अफगानिस्तान में एक प्रमुख धर्म बन गया। बौद्ध धर्म के प्रसार ने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और मजबूत किया।
मुस्लिम विजय
सातवीं शताब्दी में, अफगानिस्तान मुस्लिम विजय के अधीन आया। मुस्लिम विजय के बाद, अफगानिस्तान इस्लामी साम्राज्य का हिस्सा बन गया। इस अवधि के दौरान, अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हुए।
संगीत और साहित्य के क्षेत्र में सहयोग
संगीत और साहित्य के क्षेत्र में भी भारत और अफगानिस्तान के बीच सहयोग रहा है। अफगानिस्तान के प्रसिद्ध कवि, खलीलुल्ला खलीली को भारत में बहुत सम्मान दिया गया। उन्होंने भारत में कई कविताएँ लिखीं और उन्हें भारतीय संगीतकारों ने गाया।
स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अफगानिस्तान ने भारत का साथ दिया था। अफगानिस्तान के अमीर अमानुल्लाह खान ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को वित्तीय सहायता प्रदान की। उन्होंने भारत को हथियार और गोला बारूद भी भेजा।
आज के संबंध
भारत और अफगानिस्तान के संबंध मजबूत बने हुए हैं। भारत अफगानिस्तान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत ने अफगानिस्तान में सड़कें, स्कूल और अस्पताल बनाए हैं।
भविष्य में, भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को और मजबूत होने की उम्मीद है। दोनों देश आतंकवाद, जल सुरक्षा और आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर मिलकर काम कर रहे हैं।