पैरालिंपिक भारत एक ऐसा संगठन है जो विकलांग एथलीटों को सशक्त बनाने और उन्हें प्रतिस्पर्धी खेलों में भाग लेने के अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित है। यह संगठन पिछले एक दशक से अधिक समय से असाधारण एथलीटों की पहचान कर रहा है और उन्हें प्रशिक्षण, संसाधन और सहायता प्रदान कर रहा है।
प्रेरणादायक कहानियाँपैरालिंपिक भारत की यात्रा प्रेरणादायक कहानियों से भरी हुई है। देवेंद्र झाझरिया एक पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक एथलीट हैं जिन्होंने छह पैरालिंपिक खेलों में भाग लिया है और दो स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता है। उनका दृढ़ संकल्प और खेल भावना सभी के लिए एक प्रेरणा है।
समावेश के लिए वकालतपैरालिंपिक भारत न केवल एथलीटों का समर्थन करता है, बल्कि समाज में विकलांग लोगों के लिए समानता और समावेश की भी वकालत करता है। संगठन सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों से सभी के लिए सुलभ और समावेशी वातावरण बनाने में योगदान करने का आग्रह करता है।
"हम एक ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जहाँ विकलांग लोग पूर्ण रूप से अपनी क्षमता तक पहुँच सकें," पैरालिंपिक भारत के सीईओ गौरव उप्पल कहते हैं। "हमारा मानना है कि विकलांगता लोगों को परिभाषित नहीं करती है और यह हमें उनके सपनों को साकार करने से नहीं रोक सकती है।"पैरालिंपिक भारत ने हजारों विकलांग एथलीटों को अपने सपनों को साकार करने में मदद की है। संगठन ने उन्हें विश्व स्तरीय प्रशिक्षण सुविधाएँ, पेशेवर कोच और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के अवसर प्रदान किए हैं। इन एथलीटों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर भारत का नाम गौरवान्वित किया है।
एक समावेशी समाज की दिशा मेंपैरालिंपिक भारत सभी के लिए एक प्रेरणा है। उनका काम हमें याद दिलाता है कि विकलांगता एक बाधा नहीं है, बल्कि संभावनाओं की एक दुनिया है। आइए हम सभी मिलकर एक ऐसा समाज बनाएँ जहाँ हर कोई चमक सके।
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