महर्षि वाल्मीकि जयंती को भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, लोग महर्षि वाल्मीकि की पूजा करते हैं और रामायण का पाठ करते हैं।
महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी एक कथा इस प्रकार है:एक बार, महर्षि नारद महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में आए। महर्षि नारद ने महर्षि वाल्मीकि से पूछा कि इस संसार में सबसे बड़ा पाप कौन-सा है। महर्षि वाल्मीकि ने महर्षि नारद से कहा कि इस संसार में सबसे बड़ा पाप क्रोध है।
महर्षि वाल्मीकि की बात सुनकर महर्षि नारद ने कहा कि क्या इस संसार में क्रोध से भी बड़ा कोई पाप है? महर्षि वाल्मीकि ने कहा कि हाँ, इस संसार में क्रोध से भी बड़ा पाप है।
महर्षि वाल्मीकि ने कहा कि इस संसार में क्रोध से भी बड़ा पाप अभिमान है। अभिमान के कारण ही रावण का नाश हुआ था। अभिमान के कारण ही कंस का नाश हुआ था। अभिमान के कारण ही हिरण्यकश्यप का नाश हुआ था।
महर्षि वाल्मीकि की बात सुनकर महर्षि नारद ने कहा कि आपकी बात सत्य है। अभिमान के कारण ही मनुष्य का नाश होता है।
इसलिए, हमें कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए।
महर्षि वाल्मीकि जयंती पर हम सभी को महर्षि वाल्मीकि के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।