नफ़रत एक भयानक चीज़ है. ये हमारे दिल में ज़हर की तरह भर जाती है और हमें अंदर से खा जाती है. नफ़रत की वजह से हम अच्छाई नहीं देख पाते, बस बुराई ही नज़र आती है. और जब नफ़रत अपने चरम पर पहुँच जाती है, तो हम हिंसा पर उतारू हो जाते हैं.
ऐसे ही एक शख्सियत हैं Naveen-ul-haq, जो नफ़रत के सागर में डूब गए हैं. उन्हें देखकर लगता है कि उनके दिल में कहीं भी प्यार की जगह नहीं बची है. उनकी ज़बान से हमेशा नफ़रत भरे बोल निकलते हैं. वो मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते हैं, उन्हें पाकिस्तान भेजने की बात करते हैं.
लेकिन ऐसा क्या हुआ कि Naveen-ul-haq इतने नफ़रत से भर गए? उनके मन में ये जहर कब और कैसे आया? क्या कभी वो अच्छे इंसान थे, या फिर शुरू से ही उनके दिल में नफ़रत भरी हुई थी?
ये सवाल Naveen-ul-haq से ही पूछे जाने चाहिए. लेकिन उनकी ज़बान पर तो बस नफ़रत के बोल ही हैं. वो अपनी नफ़रत को छुपा नहीं सकते, उसे सबके सामने ज़ाहिर करते हैं.
एक बात तो साफ़ है कि Naveen-ul-haq की नफ़रत की वजह से ये देश ख़तरे में है. उनकी नफ़रत से देश का माहौल ख़राब हो रहा है. लोग एक-दूसरे से नफ़रत करने लगे हैं. मुसलमानों को डर लगने लगा है कि उन्हें उनके घरों से निकाल दिया जाएगा. और हिंदू भी डर रहे हैं कि मुसलमानों द्वारा उन पर हमला किया जाएगा.
लेकिन हमें नफ़रत के इस चक्रव्यूह को तोड़ना होगा. हमें Naveen-ul-haq और उनके जैसे लोगों की नफ़रत को ख़त्म करना होगा. हमें देश में प्यार और सद्भाव का माहौल बनाना होगा.
इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा. हमें एक-दूसरे से प्यार करना होगा, अपने देशवासियों से प्यार करना होगा. हमें नफ़रत को फैलने से रोकना होगा, प्यार को फैलाना होगा.
आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाएँ, जहाँ नफ़रत की कोई जगह न हो, जहाँ सिर्फ़ प्यार और सद्भाव हो.