हैदराबाद के एक साधारण से परिवार में जन्मे, महेश बाबू आज साउथ इंडिया के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में से एक हैं। उनकी यात्रा किसी सपने से कम नहीं है और यह निश्चित रूप से आपको प्रेरित करेगी। तो आइए झलक डालें उनके जीवन के असाधारण सफर पर।
महेश बाबू का जन्म 9 अगस्त, 1975 को हैदराबाद में एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उनके पिता, कृष्णा, एक प्रसिद्ध अभिनेता थे, और उनकी माँ, इंद्रा देवी, एक गृहिणी थीं। महेश के दो बड़े भाई और एक छोटी बहन है।
बचपन से ही महेश का झुकाव अभिनय की ओर था। वे अपने पिता को फिल्मों में देखते हुए बड़े हुए और उन्हें हमेशा मंच पर रहने की लालसा रहती थी।
महेश ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1999 की फिल्म "राजकुमारुडु" से की थी। फिल्म एक बड़ी हिट थी और महेश को रातों-रात स्टार बना दिया। उनकी बॉक्स-ऑफिस अपील और करिश्मा ने उन्हें प्रशंसकों के बीच तुरंत लोकप्रिय बना दिया।
इसके बाद, महेश ने "ओके ओकाजीकी", "मुरारी", "अथडू" और "पोकरी" जैसी फिल्मों की एक श्रृंखला में अभिनय किया, जो सभी बड़ी व्यावसायिक सफलताएँ थीं।
2006 में, महेश बाबू को निर्देशक एस.एस. राजामौली की मेगा-हिट फिल्म "छत्रपति" में कास्ट किया गया था। फिल्म ने महेश के करियर को एक नए स्तर पर पहुँचाया और उन्हें साउथ इंडिया के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में से एक बना दिया।
इसके बाद उन्होंने "विक्रमार्कुडु", "डूकुडु", "सीतम्मा वकिटलो सिरिमल्ले चेट्टू", "श्रीमंथुडु" और "सरिलेरु नीकेवरु" जैसी कई अन्य हिट फिल्मों में अभिनय किया।
महेश बाबू ने 2005 में अभिनेत्री नम्रता शिरोडकर से शादी की। इस जोड़े के दो बच्चे हैं, एक बेटा गौतम कृष्णा और एक बेटी सितारा।
महेश अपनी सादगी और जमीन से जुड़े रहने के लिए जाने जाते हैं। वह कई धर्मार्थ कार्यों में शामिल हैं और एक सक्रिय परोपकारी व्यक्ति हैं।
महेश बाबू ने तेलुगु सिनेमा इंडस्ट्री पर अमिट छाप छोड़ी है। उनकी फिल्मों ने लाखों लोगों को प्रेरित और मनोरंजीत किया है।
उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जिसमें पांच फिल्मफेयर पुरस्कार और तीन राज्य नंदी पुरस्कार शामिल हैं।
महेश बाबू का सफर प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और जुनून की कहानी है। वह साबित करते हैं कि सपने सच हो सकते हैं, चाहे आपकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
आज, महेश बाबू साउथ इंडिया के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में से एक हैं, जिनके पास एक विशाल प्रशंसक है। वह एक प्रेरणा हैं, एक आइकन हैं, और उनका नाम आने वाले कई वर्षों तक याद रखा जाएगा।