भारत का सर्वोच्च न्यायालय, जिसे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है, न्याय, स्वतंत्रता और समानता का प्रतीक है। यह एक ऐसी संस्था है जो देश के कानून की व्याख्या करती है और यह सुनिश्चित करती है कि सरकार और उसके नागरिक दोनों कानून के शासन का पालन करें। लेकिन ऐसा क्या है जो सुप्रीम कोर्ट को इतना खास बनाता है?
एक उदाहरण के रूप में, 2017 में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को समाप्त कर दिया, एलजीबीटीक्यू अधिकारों के लिए एक बड़ी जीत थी। इस फैसले ने समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों को गरिमा और समानता दी और यह एक संकेत था कि भारत एक अधिक न्यायसंगत और समावेशी राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है।
एक अन्य उदाहरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को रद्द करने का निर्णय है। इस फैसले ने लाखों लोगों को नागरिकता से वंचित होने से बचाया और यह नागरिक स्वतंत्रता और कानून के शासन के लिए एक बड़ी जीत थी।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका असाधारण रूप से महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी संस्था है जिस पर देश अपने न्याय, स्वतंत्रता और समानता के लिए निर्भर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के जीवन को प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, और यह न्याय की तलाश करने वालों के लिए आशा का प्रतीक बना हुआ है।