आज़म ख़ान का राजनीतिक सफर: विवाद और विजय की एक गाथा
आज़म ख़ान, एक नाम जो उत्तर प्रदेश की सियासत में दबंग और विवादित होने के लिए जाना जाता है। यह एक कहानी है एक ऐसे नेता की जिसने नीचे से ऊपर तक का सफर तय किया और यूपी की राजनीति के आसमान पर तारों की तरह चमका।
आज़म का जन्म 26 जून, 1936 को रामपुर में हुआ था। उनके पिता बाबु मुहम्मद इब्राहीम ख़ान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे। आज़म ने अपनी शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पूरी की।
अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने कांग्रेस पार्टी से की। 1972 में पहली बार विधायक चुने गए। 1996 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए और 1998 में समाजवादी पार्टी में चले गए।
आज़म ख़ान का राजनीतिक सफर हमेशा विवादों से भरा रहा है। 2007 में, उन पर धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगे। 2019 में, उन पर जौहर यूनिवर्सिटी के निर्माण में अनियमितताओं के आरोप लगे। इन विवादों के बावजूद, आज़म ख़ान ने अपने समर्थकों के बीच एक मजबूत जनाधार बनाए रखा।
वह अपने भड़काऊ भाषणों और विवादास्पद बयानों के लिए भी जाने जाते हैं। 2019 में, उन्होंने लोकसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं, जिसके लिए उन्हें चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया।
विवादों और विवादों के बावजूद, आज़म ख़ान एक सफल राजनेता रहे हैं। वह एक कुशल वक्ता हैं और लोगों से जुड़ने की एक अद्भुत क्षमता रखते हैं।
उन्होंने रामपुर में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की, जैसे सरकारी मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय और हवाई अड्डा। उन्होंने मुहर्रम के अवसर पर होने वाले ताजिया जुलूस की भव्यता के लिए भी प्रयास किए।
आज़म ख़ान के समर्थक उन्हें एक मसीहा मानते हैं, जो गरीबों और दबे-कुचलों की आवाज उठाते हैं। उनका मानना है कि आज़म ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जो रामपुर के विकास के लिए लड़ेंगे।
हालाँकि, उनके आलोचक उन्हें एक भ्रष्ट नेता मानते हैं जो अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनका तर्क है कि आज़म का शासन कानून और व्यवस्था की विफलता और भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज़म ख़ान एक विवादास्पद व्यक्ति हैं। उनकी राजनीतिक विरासत विवादों और उपलब्धियों दोनों से भरी रहेगी। लेकिन एक बात निश्चित है, वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक शक्तिशाली व्यक्ति थे, और उनका प्रभाव आने वाले कई वर्षों तक महसूस किया जाएगा।
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप आज़म ख़ान की राजनीति से सहमत हैं या नहीं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक करिश्माई नेता थे जो अपने समर्थकों के बीच गहरी जड़ें जमाने में सक्षम थे।