आज की भागती-दौड़ती दुनिया में, ट्रेंड का बोलबाला है। हर चीज़ में, चाहे वो फैशन हो, टेक्नोलॉजी हो या सोशल मीडिया, हम ट्रेंड के पीछे भागते नज़र आते हैं। लेकिन क्या हम कभी ये सोचते हैं कि ये ट्रेंड किस तरह से हमारी ज़िंदगी को प्रभावित कर रहे हैं? क्या वो वाकई हमारे लिए अच्छे हैं या हम बस भीड़ का हिस्सा बनकर चल रहे हैं?
ट्रेंड का पालन करना तो आसान है, लेकिन क्या उनसे हमारी ज़िंदगी में कोई ज़रूरी बदलाव आता है? क्या हम वाकई उनकी ज़रूरत महसूस करते हैं या बस दूसरों की नकल कर रहे होते हैं? उदाहरण के लिए, कुछ साल पहले स्किन-टाइट जींस का चलन था। हर कोई उन्हें पहन रहा था, भले ही वो उनके ऊपर अच्छे न लगते हों। आजकल, ढीले-ढाले कपड़े ट्रेंड में हैं। तो क्या इसका मतलब ये है कि स्किन-टाइट जींस अचानक से बेकार हो गए हैं?
सोशल मीडिया भी हमारे ट्रेंड फॉलो करने के तरीके को बहुत प्रभावित कर रहा है। हम लगातार अपने दोस्तों और फॉलोअर्स की पोस्ट देखते रहते हैं और चाहते हैं कि हम भी उनके जैसा ही बनें। हम उनके कपड़े पहनने लगते हैं, उनके खाने की आदतें अपनाते हैं और उनके पसंदीदा शो देखने लगते हैं। लेकिन क्या ये वाकई हमारी पसंद है या हम बस उनके ट्रेंड को फॉलो कर रहे हैं?
ट्रेंड फॉलो करने का एक और नकारात्मक पहलू ये है कि ये हमारे आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है। जब हम लगातार दूसरों से तुलना करते रहते हैं, तो हमें लगने लगता है कि हम काफी नहीं हैं। हम अपनी कमियों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं और अपनी खूबियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
तो क्या इसका मतलब ये है कि हमें ट्रेंड से पूरी तरह से दूर रहना चाहिए? बिल्कुल नहीं। ट्रेंड हमें नई चीज़ों के बारे में जानने और अपनी स्टाइल और व्यक्तित्व को तलाशने का मौका देते हैं। लेकिन हमें ट्रेंड का गुलाम नहीं बनना चाहिए। हमें अपनी पसंद खुद बनानी चाहिए और वो चीज़ें करनी चाहिए जो हमें खुशी देती हैं।
अगली बार जब आप किसी ट्रेंड को फॉलो करने जाएं, तो खुद से पूछिए कि क्या आप वाकई उसे पसंद करते हैं या बस दूसरों की नकल कर रहे हैं। अगर आप वाकई उसे पसंद करते हैं, तो उसे अपनाइए। लेकिन अगर आप इसे सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये ट्रेंड है, तो बेहतर है कि इसे छोड़ दें। आखिरकार, आपकी ज़िंदगी आपके हाथ में है, ट्रेंड के नहीं।
इसलिए, आगे बढ़िए, अपनी पसंद बनाइए, और ट्रेंड को अपने पीछे चलने दीजिए, न कि खुद को उसके पीछे दौड़ाते हुए।