आट्टम: तमिलनाडु की एक प्राचीन और जीवंत नृत्य परंपरा




आट्टम, तमिलनाडु की एक प्राचीन और जीवंत नृत्य शैली है, जो सदियों से राज्य की सांस्कृतिक विरासत का एक अनिवार्य हिस्सा रही है। इस शैली की उत्पत्ति लोक नृत्यों से हुई, और यह देवी-देवताओं की पूजा के एक रूप के रूप में विकसित हुई।

आट्टम की एक विशिष्ट विशेषता इसकी रंगीन वेशभूषा है। नर्तक आमतौर पर चमकीले रंग के कपड़े पहनते हैं, जो पारंपरिक रूपांकनों और आभूषणों से सजाए जाते हैं। उनके चेहरे पर आकर्षक मेकअप होता है, जो उनके पात्रों को और अधिक नाटकीय बनाता है।

  • थेरुकूट्टू: यह आट्टम का एक रूप है जिसे बड़े पैमाने पर किया जाता है और इसमें एक लंबी कथा होती है।
  • पொयाल आट्टम: यह एक लोकप्रिय रूप है जो आमतौर पर मंदिरों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर किया जाता है।
  • करगट्टम: यह एक अनुष्ठान नृत्य है जो देवी मां को समर्पित है।

आट्टम नृत्य शैली में कई प्रकार की मुद्राएं और हाव-भाव शामिल होते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। नृत्य आमतौर पर एक जीवंत संगीत ताल के साथ होता है, जो ड्रम, ताल और अन्य संगीत वाद्ययंत्रों से बना होता है।

आट्टम की लोकप्रियता तमिलनाडु से परे फैली हुई है। इसने भारतीय शास्त्रीय नृत्य की अन्य शैलियों को प्रभावित किया है, जैसे कि भरतनाट्यम और कथक।

आज, आट्टम को तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के एक महत्वपूर्ण तरीके के रूप में देखा जाता है। यह राज्य के कई उत्सवों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक अभिन्न अंग है।

यदि आप कभी तमिलनाडु की यात्रा करते हैं, तो आट्टम के एक प्रदर्शन को देखना न भूलें। यह एक अविस्मरणीय अनुभव होगा जो आपको राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रदान करेगा।