आदूजीविथम




आज के दौर की भागती-दौड़ती जिंदगी में, जहाँ हम अक्सर अपनी पहचान और उद्देश्य को खोजने के लिए जूझते हैं, मैं आपको बेन्जामिन फ्रैंकलिन की एक कहानी सुनाता हूँ।
एक बार, फ्रैंकलिन एक बड़े शहर में भटक रहे थे, जब उनकी मुलाकात एक अजीब से आदमी से हुई। आदमी फ्रैंकलिन से बड़े ही विनम्रता से पूछता है, "सर, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि मैं कौन हूँ?"
फ्रेंकलिन हैरान रह गए और उन्होंने आदमी से पूछा, "क्या तुम मजाक कर रहे हो? तुम खुद को नहीं जानते?"
आदमी ने दुखी स्वर में कहा, "नहीं, सर। मैं एक दुर्घटना में अपनी सारी यादें खो बैठा हूँ।"
फ्रैंकलिन ने आदमी की मदद करने की ठानी। उन्होंने उसे अपने घर ले गए और उसका नाम जानने की कोशिश करने लगे। उन्होंने आदमी से उसके अतीत के बारे में पूछा, लेकिन वह कुछ भी याद नहीं कर पाया।
थके हुए फ्रैंकलिन ने उस आदमी को एक सादा कागज और एक पेन दिया और उससे कहा, "बस लिखते रहो। जो भी तुम्हारे दिमाग में आए, लिखो।"
आदमी ने ऐसा ही किया, और जैसे-जैसे वह लिखता गया, उसे अतीत की कुछ झलकियाँ दिखाई देने लगीं। उसने लिखा कि वह एक डॉक्टर था, एक लेखक था, और एक पिता था। वह अपने परिवार से बहुत प्यार करता था, लेकिन एक दिन वह एक दुर्घटना में शामिल हो गया और सब कुछ भूल गया।
फ्रैंकलिन ने आदमी के शब्दों को पढ़ा और कहा, "तुम आदूजीविथम हो।"
आदमी ने पूछा, "आदूजीविथम?"
फ्रैंकलिन ने समझाया, "आदूजीविथम वह है जो अपनी यादें खो चुका है, लेकिन वह अपनी पहचान और अपने उद्देश्य को फिर से पाने की कोशिश करता है।"
आदमी ने कहा, "हाँ, मैं आदूजीविथम हूँ।"
उस दिन के बाद, आदमी ने अपनी यादों को वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत की। उसने किताबें पढ़ीं, लोगों से बात की, और अपने अतीत के टुकड़ों को एक साथ जोड़ने की कोशिश की।
धीरे-धीरे, उसकी यादें लौटने लगीं। वह अपने परिवार से दोबारा मिला, अपने काम पर वापस गया, और अपनी पूरी जिंदगी को वापस पा लिया।
आदूजीविथम की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमारी पहचान अक्सर हमारी यादों में निहित होती है। लेकिन अगर हम अपनी यादों को खो देते हैं, तो भी हम अपनी पहचान और उद्देश्य को फिर से पा सकते हैं।
जैसे आदूजीविथम ने किया, हम सभी अपनी यादों को वापस पाने के लिए, अपनी पहचान का पता लगाने के लिए, और अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर सकते हैं।