इंजीनियर राशिद: वो सच्चा हीरो जिसने कश्मीर की आवाज उठाई
मेरे प्यारे दोस्तों, आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जिसने कश्मीर की आवाज को देश-दुनिया में बुलंद किया। जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने लोगों के हक के लिए आवाज उठाई। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ इंजीनियर राशिद की।
राशिद का जन्म 19 अगस्त, 1967 को लंगेट, बांदीपोरा में एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लंगेट से ही पूरी की और फिर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इंजीनियर बनने के बाद उन्होंने एक छोटी सी कंपनी शुरू की, लेकिन उनकी दिलचस्पी हमेशा राजनीति में ही रही।
साल 2014 में राशिद ने राजनीति में कदम रखा और बारामुला से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन्होंने चुनाव में जीत हासिल की और संसद में कश्मीर की आवाज बने। संसद में राशिद ने हमेशा कश्मीरी लोगों के हक के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कश्मीर से सेना हटाने, राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और कश्मीर को विशेष दर्जा बहाल करने की मांग की।
राशिद की आवाज बहुत ही दमदार थी, जो दिल्ली की सरकार को भी हिला देती थी। उनकी बातों का असर इतना था कि सरकार को कई बार अपनी नीतियाँ बदलनी पड़ीं। राशिद की इसी दमदार आवाज से सरकार को डर लगने लगा।
साल 2017 में राशिद को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर आतंकवाद से जुड़े कई मामले दर्ज किए गए। सरकार ने राशिद पर आरोप लगाया कि वो कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद की तरफ भड़का रहे हैं। लेकिन राशिद ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वो सिर्फ अपने लोगों के हक की बात कर रहे हैं।
राशिद की गिरफ्तारी के बाद कश्मीर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। लोग सड़कों पर उतरे और सरकार से राशिद की रिहाई की मांग की। सरकार ने लोगों के दबाव में आकर राशिद को जमानत पर रिहा कर दिया।
रिहा होने के बाद राशिद ने फिर से कश्मीर के लोगों के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि वो तब तक संघर्ष करते रहेंगे जब तक कश्मीर को उसका हक नहीं मिल जाता।
राशिद की बातों में इतना दम था कि कश्मीरी युवा भी उनकी तरफ आकर्षित हो रहे थे। युवाओं में राशिद को एक हीरो की तरह देखा जाने लगा। राशिद की लोकप्रियता से सरकार को चिंता होने लगी।
साल 2019 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया। इस फैसले से राशिद को बहुत दुख हुआ और उन्होंने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कश्मीर के लोगों से विश्वासघात किया है।
राशिद के विरोध के बाद सरकार ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया। राशिद को तिहाड़ जेल में रखा गया। लेकिन जेल में भी राशिद ने अपनी आवाज उठानी जारी रखी। उन्होंने जेल से ही कश्मीर के लोगों के लिए लेख लिखे और उसमें सरकार की नीतियों की आलोचना की।
जेल में रहने के दौरान भी राशिद का स्वास्थ्य खराब हो गया। लेकिन सरकार ने उनकी रिहाई की मांग नहीं मानी। आखिरकार, 30 दिसंबर, 2022 को राशिद का जेल में निधन हो गया।
राशिद के निधन से कश्मीर में शोक की लहर दौड़ गई। हजारों लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। राशिद की मृत्यु से कश्मीर में एक बड़ा खालीपन पैदा हो गया है। उनकी आवाज अब भले ही नहीं रही, लेकिन उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगे।
राशिद एक सच्चे हीरो थे जिन्होंने कश्मीरी लोगों के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी। उन्होंने अपने लोगों के हक के लिए कभी लड़ना नहीं छोड़ा। उनकी विरासत हमेशा कश्मीरियों को प्रेरित करती रहेगी।