ईरान और इज़राइल के बीच चल रहा तनाव दुनिया के सबसे जटिल और लंबे समय तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय विवादों में से एक है। यह तनाव सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक मतभेदों के एक जटिल जाल से उपजा है।
ऐतिहासिक जड़ें:
ईरान और इज़राइल के बीच तनाव की जड़ें ईरानी क्रांति और इस्लामी गणराज्य की स्थापना तक जाती हैं। 1979 में जब शाह मोहम्मद रजा पहलवी को उखाड़ फेंका गया, तो नई ईरानी सरकार ने इज़राइल को एक "शैतानी राज्य" घोषित कर दिया। इस घोषणा ने इज़राइल के साथ सभी राजनयिक संबंधों को समाप्त कर दिया, और दोनों देशों के बीच एक गहरी खाई पैदा कर दी।
परमाणु कार्यक्रम:
इज़राइल का सबसे बड़ा डर ईरान के परमाणु कार्यक्रम का रहा है। इज़राइल का मानना है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जो इज़राइल और पूरे मध्य पूर्व के लिए एक गंभीर खतरा होगा। दूसरी ओर, ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का दावा करता है।
क्षेत्रीय प्रभाव:
ईरान और इज़राइल दोनों मध्य पूर्व में प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियां हैं। वे लेबनान, सीरिया, यमन और फिलिस्तीनी क्षेत्रों में अपने हितों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। यह प्रतिस्पर्धा अक्सर इन देशों में अस्थिरता और संघर्ष का कारण रही है।
आतंकवाद:
इज़राइल का आरोप है कि ईरान आतंकवादी समूहों, जैसे हमास और हिजबुल्लाह को समर्थन देता है। ये समूह इज़राइल पर हमले करते रहे हैं, जिससे इज़राइल में भय और तनाव पैदा होता है। ईरान इन आरोपों से इनकार करता है, और खुद को हिंसा के खिलाफ एक बल के रूप में प्रस्तुत करता है।
मानवाधिकार:
ईरान और इज़राइल दोनों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। ईरान में, असहमति की आवाजों पर अक्सर दबाया जाता है, और विपक्षी कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया जाता है। इज़राइल पर फिलिस्तीनियों के खिलाफ अत्यधिक बल का उपयोग करने और उनके अधिकारों को प्रतिबंधित करने का भी आरोप लगाया गया है।
समाधान की तलाश:
ईरान और इज़राइल के बीच तनाव को कम करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। 2015 में, ईरान और विश्व शक्तियों ने एक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाया, बदले में आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिली। लेकिन इस समझौते को अमेरिका ने 2018 में रद्द कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
तनाव को कम करने के लिए अन्य प्रयासों में सीधी वार्ता, मध्यस्थता और संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से कूटनीति शामिल है। हालाँकि, अब तक कोई भी प्रयास स्थायी समाधान नहीं ला सका है।
भविष्य की संभावनाएं:
ईरान और इज़राइल के बीच तनाव आने वाले वर्षों में जारी रहने की संभावना है। दोनों देश अपनी असहमतियों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं, और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा तनाव को कम करना और भी मुश्किल बनाती है। भविष्य में तनाव बढ़ने या कम होने की भविष्यवाणी करना कठिन है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह एक जटिल और खतरनाक स्थिति है जो मध्य पूर्व की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर परिणाम हो सकती है।