उत्‍कल दिवस: ओडिशा का गौरव




आज उत्‍कल दिवस है, जिसे ओडिशा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसा दिन है जब हम अपने राज्य के इतिहास, संस्‍कृति और विरासत को याद करते और मनाते हैं। ओडिशा अपनी प्राचीन सभ्यता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उल्‍लेखनीय उपलब्धियों वाला एक राज्य है।

इतिहास की झलक:

  • ओडिशा का इतिहास 3000 ईसा पूर्व का है, जब यह कalinga के रूप में जाना जाता था।
  • इसने मौर्य, गुप्‍त और ब्राह्‍मण राजवंशों सहित कई शक्तिशाली साम्राज्‍यों के उदय और पतन को देखा है।
  • 12वीं शताब्‍दी में, राजा अनंतवर्मन चोदगंगदेव के शासन के दौरान ओडिशा ने अपनी सबसे बड़ी ऊंचाइयों को छुआ।

सांस्कृतिक खजाना:

  • ओडिशा अपने शास्‍त्रीय नृत्‍य, ओडिसी के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह पटचित्र की प्राचीन कला के लिए भी जाना जाता है, जो कपड़े की स्‍क्रॉल पेंटिंग का एक रूप है।
  • पुरी में स्थित जगन्‍नाथ मंदिर, हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्‍थलों में से एक है।
    • प्राकृतिक संपदा:

      • ओडिशा की विविधतापूर्ण भूगोल में तटीय मैदान, ऊंचे पहाड़ और घने जंगल शामिल हैं।
      • यह चिल्‍का झील का घर है, जो एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
      • राज्‍य में कई राष्‍ट्रीय उद्यान और अभयारण्‍य हैं, जो वन्यजीव और पक्षियों की समृद्ध विविधता की रक्षा करते हैं।

      आधुनिक ओडिशा:

      • आज, ओडिशा भारत के सबसे तेजी से बढ़ते राज्‍यों में से एक है।
      • यह अपने लौह अयस्‍क, एल्युमिनियम और पर्यटन उद्योगों के लिए जाना जाता है।
      • राज्‍य ने शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल और बुनियादी ढांचे में भी उल्‍लेखनीय प्रगति की है।

      उत्‍कल दिवस का महत्‍व:

      • उत्‍कल दिवस हमें अपने अतीत को याद करने और हमारे पूर्वजों के बलिदानों को पहचानने का अवसर प्रदान करता है।
      • यह हमें अपनी संस्‍कृति और विरासत पर गर्व करने और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करता है।
      • यह एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है, और हमें एक ओडिया के रूप में हमारे साझा बंधन की याद दिलाता है।
      आइए आज हम उत्‍कल दिवस को अपनी विरासत, अपनी उपलब्धियों और ओडिशा के उज्‍जवल भविष्‍य के लिए प्रतिबद्धता के उत्‍सव के रूप में मनाएं।