वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
वर्तमान में भारत की राजनीति काफी उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रही है। भाजपा अपने दूसरे कार्यकाल में है और विपक्ष उस पर लगातार निशाना साध रहा है। कांग्रेस, जो कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी, पिछले कुछ चुनावों से लगातार कमजोर हो रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस 2024 में अपनी खोई हुई साख वापस पा सकेगी?भाजपा बनाम कांग्रेस: मुख्य मुकाबला
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, ऐसा लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होने वाला है। यही दो पार्टियां हैं जिनका पूरे देश में सबसे ज्यादा जनाधार है। भाजपा अपने राष्ट्रवादी एजेंडे और हिंदुत्व की राजनीति के सहारे चुनाव मैदान में उतरेगी, जबकि कांग्रेस सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और विकास की अपनी पारंपरिक नीतियों पर भरोसा करेगी।- बेरोजगारी की बढ़ती दर
- महंगाई की समस्या
- सांप्रदायिक तनाव के बढ़ते मामले
- नेतृत्व की कमी
- संगठनात्मक कमजोरी
- क्षेत्रीय दलों से बढ़ती चुनौती
क्षेत्रीय दलों का महत्व
हाल के चुनावों में देखा गया है कि क्षेत्रीय दलों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। इन दलों का अपने क्षेत्रों में मजबूत जनाधार है और ये राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी क्षेत्रीय दलों की भूमिका अहम होने वाली है। ये दल या तो भाजपा या कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकते हैं या फिर तीसरे मोर्चे के रूप में उभर सकते हैं।एक दिलचस्प मोड़
एक्जिट पोल के पूर्वानुमान
अभी तक 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कोई एक्जिट पोल जारी नहीं हुआ है, लेकिन विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर, भाजपा को बहुमत मिलने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को भी अच्छी खासी सीटें मिल सकती हैं।सारांश