एकनाथ शिंदे, एक नाम जो पिछले कुछ महीनों में महाराष्ट्र की राजनीति में कानाफूसी से लेकर गर्जना तक गूंजता रहा है। शिंदे की कहानी एक राजनीतिक परी कथा से कम नहीं है, जहां एक साधारण कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच गया।
एक छोटे से गांव ठाणे में जन्मे शिंदे की यात्रा विनम्रता से शुरू हुई। एक ऑटो रिक्शा चालक के बेटे ने कभी नहीं सोचा था कि वह राजनीति में इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचेंगे। शिवसेना में शामिल होने के बाद, शिंदे ने पार्टी में अपना काम किया, जमीनी स्तर पर खुद को साबित किया।
हालांकि, शिवसेना में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा था। शिंदे इसका हिस्सा बन गए, यह महसूस करते हुए कि पार्टी अपने मूल उद्देश्यों से भटक रही है।
शिंदे के नेतृत्व में, विद्रोही गुट ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया, जिसके परिणामस्वरूप एक बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो गया। महाराष्ट्र की सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई, और शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।
शिंदे का उदय एक उल्लेखनीय राजनीतिक उपलब्धि है। वह एक ऐसे व्यक्ति का उदाहरण हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ते हैं और बाधाओं को पार करते हैं। हालाँकि, उनकी यात्रा विवादों से रहित नहीं रही है।
एकनाथ शिंदे का राजनीतिक भविष्य क्या है, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन उनकी यात्रा महाराष्ट्र की राजनीति में एक स्थायी छाप छोड़ चुकी है। वह एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से दिखाया है कि कुछ भी असंभव नहीं है।