कच्चातीव द्वीप: भारत और श्रीलंका के बीच विवादित भूमि का इतिहास




भारत और श्रीलंका के बीच स्थित कच्चातीव द्वीप एक छोटा सा द्वीप है जो दशकों से दोनों देशों के बीच विवाद का विषय रहा है। इस द्वीप ने 1974 और 1976 में हुए दो नौसैनिक संघर्षों को भी जन्म दिया, जिससे तनाव और भी बढ़ गया।

द्वीप का इतिहास सदियों से रहा है, जहाँ इसे पहले चोल राजवंश और फिर 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा नियंत्रित किया गया था। 19वीं शताब्दी में, द्वीप ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया, और 1948 में श्रीलंका की स्वतंत्रता के बाद भी इसे श्रीलंकाई क्षेत्र माना जाता रहा।

हालाँकि, भारत ने हमेशा द्वीप पर अपने दावे को बनाए रखा है, यह तर्क देते हुए कि यह सदियों से भारतीय मछुआरों द्वारा उपयोग किया जाता रहा है। 1974 और 1976 में, भारतीय नौसेना ने द्वीप को नियंत्रित करने के लिए दो अभियान चलाए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया।

1976 में, भारत और श्रीलंका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत द्वीप को श्रीलंका के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा गया, लेकिन भारतीय मछुआरों को वहाँ मछली पकड़ने की अनुमति दी गई। यह समझौता आज भी प्रभावी है, लेकिन कभी-कभार इस द्वीप पर विवाद फिर से उठता रहता है।

कच्चातीव द्वीप विवाद भारत-श्रीलंका संबंधों का एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। दोनों देशों को इस मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने और इस द्वीप के संसाधनों से लाभ साझा करने का रास्ता खोजने की जरूरत है।

भारत का दावा

भारत का तर्क है कि कच्चातीव द्वीप सदियों से भारतीय मछुआरों द्वारा उपयोग किया जाता रहा है, और यह भारत के समुद्री सीमा के भीतर आता है। भारत यह भी दावा करता है कि द्वीप का उपयोग ऐतिहासिक रूप से रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया गया है, और इसे भारत के नियंत्रण में रखना आवश्यक है।

श्रीलंका का दावा

श्रीलंका का तर्क है कि कच्चातीव द्वीप उसका क्षेत्र है, क्योंकि यह श्रीलंका के तट से सिर्फ सात किलोमीटर दूर स्थित है। श्रीलंका का यह भी दावा है कि द्वीप का उपयोग सदियों से श्रीलंकाई मछुआरों द्वारा किया जाता रहा है, और यह श्रीलंकाई संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भविष्य

कच्चातीव द्वीप विवाद का कोई आसान समाधान नहीं है। दोनों देशों को एक ऐसा रास्ता खोजने की जरूरत है जिससे दोनों देशों के हितों की रक्षा हो सके और द्वीप का संसाधनों से लाभ साझा किया जा सके।

कॉल टू एक्शन

भारत और श्रीलंका के लोग कच्चातीव द्वीप विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन कर सकते हैं। दोनों देशों की सरकारों को एक साथ आकर एक ऐसा समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो।