कच्छातिव द्वीप: भारत और श्रीलंका के बीच का विवादास्पद द्वीप




भारत और श्रीलंका के बीच की समुद्री सीमा लंबे समय से विवाद का विषय रही है। इस विवाद का केंद्र बिंदु कच्छातिव द्वीप है, जो पॉक जलडमरूमध्य में स्थित है।

कच्छातिव द्वीप की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। माना जाता है कि इस द्वीप पर एक प्राचीन बौद्ध मंदिर था, जो अब खंडहरों में पड़ा है।

1974 के भारत-श्रीलंका समझौते ने कच्छातिव द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया। हालाँकि, इस समझौते को कई भारतीय मछुआरों द्वारा चुनौती दी गई है, जो इस द्वीप के आसपास के पानी में मछली पकड़ने का दावा करते हैं।

कच्छातिव द्वीप विवाद कई जटिल कारकों से जटिल है, जिसमें शामिल हैं:

  • क्षेत्रीय सीमाओं का ऐतिहासिक विकास
  • प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिस्पर्धी दावे
  • दोनों देशों के राष्ट्रवादी भाव

हालाँकि दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन कच्छातिव द्वीप का विवाद बना हुआ है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कूटनीति और बातचीत जरूरी है।

इस बीच, कच्छातिव द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच एक निरंतर अनुस्मारक बना हुआ है कि कैसे ऐतिहासिक विवाद दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।

इस द्वीप के आसपास के पानी में मछली पकड़ने के अधिकारों के अलावा, कच्छातिव द्वीप का रणनीतिक महत्व भी है। यह द्वीप पॉक जलडमरूमध्य को नियंत्रित करता है, जो भारत और श्रीलंका के बीच एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है।

कच्छातिव द्वीप विवाद को हल करने से न केवल दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को भी बढ़ावा देगा।