कन्नड़ के दिग्गज हास्य सम्राट: द्वारकीश




कन्नड़ फिल्म जगत के एक प्रतिष्ठित नाम, द्वारकीश का जन्म 19 अगस्त, 1949 को कर्नाटक के शिमोगा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनकी शुरुआती जिंदगी संघर्षों से भरी रही, लेकिन उनके अंदर एक अटूट जुनून था - अभिनय का जुनून।

द्वारकीश ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की। अपने हास्यपूर्ण समय और गजब के अभिनय से, उन्होंने जल्द ही दर्शकों का दिल जीत लिया। 1982 में, उन्हें अपनी पहली फिल्म "हंसते हुन्नू" में काम करने का मौका मिला। यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई और इसने द्वारकीश को स्टारडम की सीढ़ियों पर चढ़ा दिया।

इसके बाद, द्वारकीश ने "जोगाया", "सागर संगम", "होली", "मिस्टर व्ही" समेत कई यादगार फिल्मों में काम किया। उनकी कॉमेडी लोगों को पेट पकड़कर हंसाती थी, जबकि उनके भावनात्मक दृश्य दर्शकों को भावुक कर देते थे।

द्वारकीश की लोकप्रियता केवल कर्नाटक तक ही सीमित नहीं रही। उन्होंने तमिल, तेलुगु और हिंदी जैसी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया। हिंदी फिल्म "हेरा फेरी" में उनका अंजान का किरदार आज भी लोगों की जुबान पर है।

अपने शानदार करियर में, द्वारकीश ने कई पुरस्कार जीते, जिनमें चार कर्नाटक राज्य फिल्म पुरस्कार और एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी शामिल है। वह कन्नड़ फिल्म उद्योग के सबसे महान और सम्मानित अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं।

द्वारकीश का निजी जीवन भी उतना ही दिलचस्प था जितना कि उनका पेशेवर जीवन। उन्होंने अपनी बचपन की प्रेमिका सुलक्षणा से शादी की और उनके तीन बच्चे हुए। वह अपने परिवार के बहुत करीब थे और अपने बच्चों की परवरिश में बहुत शामिल थे।

द्वारकीश की विरासत:
  • द्वारकीश ने कन्नड़ फिल्म उद्योग में कॉमेडी की एक नई शैली पेश की।
  • उन्होंने अपने हास्य और भावनाओं के मिश्रण से दर्शकों का मनोरंजन किया।
  • उनकी फिल्में आज भी लोगों को हंसाती और रुलाती हैं।
  • वह कन्नड़ फिल्म उद्योग के एक प्रिय अभिनेता और एक महान हस्ती बने रहेंगे।

11 जुलाई, 2016 को द्वारकीश का दुखद निधन हो गया। कर्नाटक और पूरे भारत में उनके प्रशंसकों ने गहरा शोक व्यक्त किया। उनकी विरासत हमेशा कन्नड़ फिल्म उद्योग में एक दिग्गज हास्य सम्राट के रूप में जीवित रहेगी।

"हास्य ईश्वर का उपहार है, और द्वारकीश उस उपहार के साथ जन्मे थे।" - डॉ. राजकुमार

कन्नड़ फिल्म उद्योग और उसके प्रशंसकों के लिए द्वारकीश की कमी हमेशा खलेगी। उनका हास्य, भावनाएं और अभिनय का कौशल हमेशा लोगों की यादों में जीवित रहेगा।