एक बार की बात है, एक गरीब लेकिन मेहनती किसान था। वह अपनी जमीन पर अथक परिश्रम करता था, लेकिन उसकी फसलें लगातार सूखे और कीटों के कारण नष्ट हो जाती थीं। इसने उसे गरीबी और निराशा के गर्त में धकेल दिया।
एक दिन, किसान अपनी दुर्दशा पर विचार कर रहा था कि उसे एक विचार आया। उसने फैसला किया कि वह अपने पड़ोसी के खेत से सिंचाई के लिए पानी चुरा लेगा। वह जानता था कि यह कानून तोड़ने जैसा था, लेकिन वह अपनी फसलों और अपने परिवार को बचाने के लिए बेताब था।
रात के अंधेरे में, किसान अपने पड़ोसी के खेत में घुसा और अपने खेतों में पानी की नहर बना ली। शुरू में, उसकी योजना सफल रही। उसकी फसलें बढ़ने लगीं और उसका परिवार उन्नति करने लगा।
हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, किसान का अपराधबोध उसे परेशान करने लगा। वह जानता था कि उसने गलत किया है और उसकी हरकत का पता चलने पर उसे दंडित किया जा सकता है। उसकी चोरी पकड़ी गई और उसे जेल की सजा सुनाई गई।
जेल में, किसान को अपने किए पर पछतावा होने लगा। उसने महसूस किया कि कानून को तोड़ना कभी भी सही नहीं होता है, भले ही परिणाम कितने भी आकर्षक क्यों न हों। उसने सीखा कि ईमानदारी और कड़ी मेहनत हमेशा सबसे अच्छी नीति होती है।
जब किसान जेल से रिहा हुआ, तो उसने अपनी गलती से सीख ली। उसने फिर कभी कानून नहीं तोड़ा और अपनी फसलों के लिए ईमानदारी से काम किया। यद्यपि उसे अपने अपराध के लिए दंडित किया गया था, लेकिन उसने अपनी गरिमा और आत्म-सम्मान को वापस पा लिया।
किसान की कहानी हमें सिखाती है कि कानून को तोड़ना कभी भी सही नहीं होता है, भले ही परिणाम कितने भी लाभदायक क्यों न हों। ईमानदारी और कड़ी मेहनत हमेशा सबसे अच्छी नीति होती है, और अपराध से प्राप्त लाभ क्षणभंगुर होते हैं।
इसलिए, हमेशा कानून का पालन करें और शॉर्टकट लेने के प्रलोभन से बचें। याद रखें, न्याय पाने के वैध तरीके हैं, और कानून तोड़ना कभी भी समाधान नहीं है।