कोंनेहरू हंपी भारत की एक महान शतरंज खिलाड़ी हैं। उन्होंने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें विश्व रैपिड शतरंज चैम्पियनशिप का दो बार खिताब जीतना भी शामिल है। हंपी की यात्रा प्रेरणादायक है और यह दर्शाती है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और जुनून से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
हंपी का जन्म 31 मार्च, 1987 को आंध्र प्रदेश के गुडिवाड़ा में हुआ था। उन्हें बचपन से ही शतरंज खेलने का बहुत शौक था। उन्होंने 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया और जल्द ही अपनी प्रतिभा दिखाने लगीं।
हंपी ने एक युवा खिलाड़ी के रूप में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते। वह 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने वाली सातवीं सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं। हंपी ने अपनी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान भी जीते हैं, जिनमें अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री शामिल हैं।
हंपी न केवल एक शानदार शतरंज खिलाड़ी हैं, बल्कि एक महान रोल मॉडल भी हैं। वह अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और विनम्रता के लिए जानी जाती हैं। वह भारतीय शतरंज के लिए एक प्रेरणा हैं और युवा खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण हैं।
हंपी की कहानी हमें याद दिलाती है कि यदि हमारे पास जुनून है और हम अपने लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। वह एक सच्ची चैंपियन हैं और हमें उन पर गर्व है।