कान्हा आये हैं, खुशियाँ लाये हैं, कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!




आज भारत के हर कोने-कोने में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है, गलियों में भक्ति गीतों की गूँज है, और घर-घर में कृष्ण भगवान के पावन नाम का कीर्तन हो रहा है।

कृष्ण की लीलाओं का है अनोखा संसार

भगवान श्री कृष्ण का जन्म माता देवकी और पिता वसुदेव की कोख से हुआ था। उनकी लीलाओं का संसार अनोखा और अद्भुत है। बचपन में उन्होंने पूतना और कंस जैसे दुष्टों का वध किया, गोपियों के साथ रासलीलाएँ कीं, और अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया।

लड्डू गोपाल का भोग और झूला-झूलन

कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर लड्डू गोपाल की विशेष पूजा की जाती है। उन्हें झूले में बैठाया जाता है, उनके पसंदीदा लड्डूओं का भोग लगाया जाता है, और भजन-कीर्तन से उनका मनोरंजन किया जाता है।

राधा-कृष्ण की जोड़ी का प्रतीक है प्रेम

कृष्ण जन्माष्टमी के साथ-साथ राधाष्टमी भी मनाई जाती है। राधा और कृष्ण की जोड़ी प्रेम, समर्पण और बलिदान का प्रतीक है। उनके अविनाशी प्रेम ने कवियों और कलाकारों को सदियों से प्रेरित किया है।

  • कृष्णा के नाम का गुणगान

    • हरि ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    • श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    • हे नंदलाल, यशोदा का लाल

    आज के दिन पूरे देश में भक्ति और उल्लास का माहौल है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक, सभी कृष्ण की भक्ति में लीन हैं। मंदिरों में दर्शन करने से लेकर घरों में कीर्तन करने तक, हर कोई इस पावन पर्व को हर्षोल्लास से मना रहा है।

    इस जन्माष्टमी, आइए हम अपने जीवन में श्री कृष्ण के आदर्शों को अपनाएँ। उनके प्रेम, करुणा और दानशीलता से सीखकर हम अपने जीवन को अर्थपूर्ण बना सकते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ!