अरुण गोविल, वो नाम जिसने रामानंद सागर की रामायण में भगवान राम को हमारे दिलों में उतार दिया। उनके राम का किरदार आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। अब तो अरुण गोविल के चाहने वाले दुनियाभर में हैं।
"राम ने बनवाया हनुमान का ऐसा मंदिर, जहां आज भी जलती है अखंड ज्योति"अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी, 1958 को मेरठ में हुआ था। बचपन से ही उनका रुझान अभिनय की तरफ था। उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अभिनय की शिक्षा ली और उसके बाद थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की।
"ऐसे पाया था रामायण में राम का किरदार"रामानंद सागर की रामायण में भगवान राम का किरदार पाना अरुण गोविल के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। उन्होंने इस किरदार को निभाने के लिए कड़ी मेहनत की और अपने अभिनय से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रामायण के अलावा, अरुण गोविल ने कई अन्य फिल्मों और धारावाहिकों में भी काम किया, लेकिन रामायण में उनके राम का किरदार हमेशा सबसे यादगार रहेगा।
अरुण गोविल के अभिनय की सबसे बड़ी खासियत उनकी प्राकृतिकता और सादगी है। पर्दे पर वह जिस तरह राम के किरदार को जीवंत करते हैं, वह अद्भुत है। उनकी आँखों में वो मासूमियत, चेहरे पर वो दिव्यता, हर कोई उन्हें देखकर भगवान राम के दर्शन करता है।
"रामायण के राम अब बन गए हैं सांसारिक"रामायण के राम का किरदार निभाने के बाद अरुण गोविल की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। वह लोगों के बीच एक देवता की तरह पूजे जाने लगे। लेकिन इसके बावजूद, वह जमीन से जुड़े रहे और अपने सांसारिक जीवन को भी प्राथमिकता दी। उन्होंने शादी की, बच्चे हुए और एक खुशहाल जीवन जिया।
"अरुण गोविल का संदेश"अरुण गोविल का संदेश आज भी युवाओं के लिए प्रासंगिक है। वह कहते हैं, "कोई भी काम करें, उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दें। ईमानदारी और मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।" उनकी बातों में सच्चाई है और उनके जीवन की कहानी इसकी जीती जागती मिसाल है।
"राम के आदर्शों को जिंदगी में उतारें"अरुण गोविल का मानना है कि रामायण के आदर्श आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं। वह कहते हैं, "राम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने से हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।"
अरुण गोविल आज भी उतने ही प्रेरणादायक और आदरणीय हैं जितने कि पहले थे। उनके अभिनय से हमें जो प्रेरणा मिलती है, वह हमें जीवन के हर कदम पर आगे बढ़ने और कुछ नया करने की ताकत देती है।
जै श्री राम!