क्या चुनावी इग्ज़िट पोल विश्वसनीय हैं?
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जब भी चुनाव आता है, इग्ज़िट पोल की चर्चा भी तेज हो जाती है. न्यूज़ चैनल्स, अख़बार, इंटरनेट सब जगह इग्ज़िट पोल के नतीजे दिखाए जाते हैं और उसपर बहस भी होती है. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि ये इग्ज़िट पोल भला होते क्या हैं? आखिर इनके नतीजे कितने सही होते हैं? और हमारे चुनाव को प्रभावित करने में इनकी क्या भूमिका है?
क्या है इग्ज़िट पोल?
इग्ज़िट पोल एक तरह का सर्वेक्षण होता है, जो मतदान के आखिरी दिन वोट डालने के बाद मतदाताओं से किया जाता है. मतदाता को मतदान केंद्र के बाहर रोका जाता है और उससे पूछा जाता है कि उसने किसे वोट दिया. उसके बाद इन्हें एक बड़े नमूने के तौर पर लिया जाता है और वोटिंग के नतीजों का अनुमान लगाया जाता है.
कितने सही होते हैं इग्ज़िट पोल?
थ्योरी में, अगर इग्ज़िट पोल सही तरह से किया जाए, तो इसके नतीजे सटीक होने चाहिए. लेकिन व्यवहार में, कई बार इग्ज़िट पोल गलत हो जाते हैं. इसकी कुछ वजहें हैं:
- सैंपलिंग एरर: इग्ज़िट पोल में नमूने के तौर पर चुने गए मतदाता हमेशा पूरे मतदाता आधार का सही प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. इससे नतीजों पर असर पड़ सकता है.
- सोशल डिज़ायरेबिलिटी बायस: कुछ मतदाता सामाजिक रूप से वांछनीय उत्तर देना पसंद करते हैं, भले ही वो उनके वास्तविक विचारों से मेल न खाते हों. इससे खासकर चुनावों में अंतर हो जाता है जहाँ एक पार्टी या उम्मीदवार दूसरे से ज्यादा लोकप्रिय माना जाता है.
- लोग झूठ बोलते हैं: कुछ मतदाता सर्वेक्षणकर्ताओं से भी झूठ बोलते हैं, खासकर अगर उन्हें लगता है कि उनका जवाब गुप्त नहीं रहेगा.
- सर्वेक्षणकर्ता त्रुटि: सर्वेक्षणकर्ता मानवीय होते हैं और गलतियाँ कर सकते हैं, जैसे कि मतदाताओं से गलत प्रश्न पूछना या उनके जवाबों को गलत तरीके से रिकॉर्ड करना.
इसके बावजूद, इग्ज़िट पोल अक्सर चुनाव के नतीजों का अच्छा संकेत दे सकते हैं. अगर कई इग्ज़िट पोल एक जैसे नतीजे दिखा रहे हैं, तो यह इस बात की संभावना है कि नतीजे सही हैं.
इग्ज़िट पोल का हमारे चुनाव पर असर
इग्ज़िट पोल हमारे चुनाव को कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं:
- जानकारी देना: इग्ज़िट पोल मतदाताओं को चुनाव के नतीजों के बारे में जानकारी देते हैं, इससे पहले कि वे घोषित हो जाएँ. यह मतदाताओं को अपने अगले कदमों के बारे में निर्णय लेने में मदद कर सकता है, जैसे कि क्या वे चुनाव का बहिष्कार करें या किसे वोट दें.
- मतदाता की भागीदारी को प्रभावित करना: कुछ मामलों में, इग्ज़िट पोल मतदान की भागीदारी को प्रभावित कर सकते हैं. अगर किसी पार्टी या उम्मीदवार को जीतने की संभावना कम दिखाई देती है, तो उनके समर्थक वोट देने से हतोत्साहित हो सकते हैं.
- जनमत को आकार देना: इग्ज़िट पोल जनमत को भी आकार दे सकते हैं. अगर किसी पार्टी या उम्मीदवार को इग्ज़िट पोल में बढ़त दिखाई देती है, तो इससे अन्य मतदाताओं पर उनको वोट देने का दबाव पड़ सकता है.
इग्ज़िट पोल हमारी चुनावी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. हालाँकि वे हमेशा सही नहीं होते हैं, लेकिन वे मतदाताओं को चुनाव के नतीजों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं और जनमत को आकार दे सकते हैं. इसलिए इग्ज़िट पोल को समझना और उनका सावधानी से उपयोग करना महत्वपूर्ण है.