सबसे प्रमुख कारण है ब्याज दरों में वृद्धि। जैसे-जैसे ब्याज दरें बढ़ती हैं, निवेशकों का शेयर बाजार से पैसा निकालने और इन्हें बॉन्ड और अन्य निश्चित आय वाले निवेशों में लगाने की संभावना बढ़ जाती है। इससे शेयरों की माँग में कमी आती है और कीमतों में गिरावट आती है।
मुद्रास्फीति का मतलब है कि वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि। जैसे-जैसे मुद्रास्फीति बढ़ती है, निवेशकों को उनकी जोत पर कम रिटर्न मिलता है। इससे शेयर बाजार से पैसा निकालने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कीमतों में गिरावट आती है।
3. भू-राजनीतिक अस्थिरता:
भू-राजनीतिक अस्थिरता, जैसे युद्ध या राजनीतिक संकट, शेयर बाजार को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इससे निवेशकों में अनिश्चितता पैदा होती है और वे जोखिम लेने से बचते हैं, जिससे शेयरों की माँग घटती है और कीमतें गिरती हैं।
4. चीन का आर्थिक मंदी:
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और शेयर बाजार इसका प्रतिबिंब है। चीन की आर्थिक मंदी से वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है।
5. विदेशी निवेशकों का बहिर्वाह:
जब विदेशी निवेशक किसी देश की अर्थव्यवस्था में विश्वास खो देते हैं, तो वे अपना पैसा निकाल लेते हैं। इससे शेयरों की माँग में कमी आती है और कीमतें गिरती हैं।
6. भावनात्मक कारक:
भावनात्मक कारक, जैसे डर और लालच, भी शेयर बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। जब निवेशक डरे हुए होते हैं, तो वे अपने शेयर बेच देते हैं, जिससे कीमतों में गिरावट आती है। इसके विपरीत, जब निवेशक लालची होते हैं, तो वे स्टॉक खरीदते हैं, जिससे कीमतें बढ़ती हैं।
भविष्य में इससे कैसे बच सकते हैं?