क्या आप जानते हैं कि कोटक महल, एक शाही निवास जिसकी दीवारों में सदियों की कहानियां छिपी हैं, आज भारत की एक प्रमुख वित्तीय संस्था, कोटक का मुख्यालय है?
कोटक की शुरुआत 1985 में हुई थी, और आज यह निजी क्षेत्र का तीसरा सबसे बड़ा बैंक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई? यह एक मेडिकल स्टूडेंट की कहानी है जिसने फाइनेंस की दुनिया में कदम रखा।
उस छात्र का नाम उदय कोटक था। पिता के अचानक निधन के बाद, उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी और एक रियल एस्टेट एजेंट के रूप में काम करना शुरू किया।लेकिन उदय का दिल तो फाइनेंस में था। उन्होंने 25 साल की उम्र में शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया, और जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि यही उनका जुनून है।
1985 में, उदय ने अपने चचेरे भाई जयराज कोटक के साथ, 8 लाख रुपये की पूंजी से कोटक कैपिटल मैनेजमेंट सर्विसेज की स्थापना की। शुरुआती दिनों में, उनकी कंपनी छोटे व्यवसायों को उधार देती थी।
लेकिन उदय एक सपने देखने वाले थे। वह जानते थे कि कोटक इससे कहीं अधिक हो सकता है। उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार शेयर दलाली, निवेश बैंकिंग और संपत्ति प्रबंधन में किया।
1998 में, कोटक ने अपना बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त किया, और तब से यह लगातार बढ़ रहा है। आज, कोटक 1,600 से अधिक शाखाओं और 2,500 से अधिक एटीएम के साथ पूरे भारत में फैला हुआ है।
तो, क्या कोटक को आज के जमाने का नवाब बनाता है? यह न केवल इसका आकार या धन है, बल्कि इसकी ग्राहक-केंद्रितता और नवाचार पर ध्यान है। कोटक पहले बैंकों में से एक था जिसने डिजिटल बैंकिंग अपनाई।
कोटक की एक और खासियत इसकी लीडरशिप है। उदय कोटक एक दूरदर्शी नेता हैं, जिन्होंने एक छोटे से वित्तीय उद्यम को एक वैश्विक वित्तीय दिग्गज में बदल दिया है।
कोटक आज भारत की सबसे सम्मानित कंपनियों में से एक है। यह न केवल वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है, बल्कि यह सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी में भी अग्रणी है।
तो, अगली बार जब आप कोटक महल के भव्य द्वारों से गुजरें, तो याद रखें कि इसके अंदर एक ऐसी कंपनी का मुख्यालय है जिसने लाखों भारतीयों के जीवन को बदल दिया है।