क्या CM योगी के सामने खतरे की घंटी बज गई है?




उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू एक बार फिर से सत्ता के गलियारों में छाया हुआ है. विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को माकूल जवाब देने की तैयारी कर ली है. हाल के दिनों में उनकी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ और उनके भाषणों का असर उनकी बढ़ती लोकप्रियता का सबूत है.

लेकिन पिछले कुछ महीनों में यूपी में हुई कुछ घटनाओं ने उनके सामने खतरे की घंटी भी बजा दी है. मथुरा में हुई हिंसा और कासगंज में हुए दलित उत्पीड़न मामले ने उनकी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं. इसके अलावा, लखीमपुर खीरी में हुई किसानों की मौत और प्रयागराज में दलितों के घरों को जलाए जाने की घटनाओं ने भी यूपी सरकार की छवि को धूमिल किया है.

इन घटनाओं ने विपक्ष को योगी सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि यूपी में "जंगलराज" कायम हो गया है और योगी आदित्यनाथ "खुद ही मुख्यमंत्री और जज बन गए हैं." बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी योगी सरकार पर दलितों के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाया है.

योगी आदित्यनाथ ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा है कि विपक्ष "झूठे प्रचार" के जरिए उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यूपी में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार का भी दावा किया है.

विधानसभा चुनाव से पहले इन घटनाओं का योगी आदित्यनाथ की जीत पर क्या असर पड़ेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. लेकिन इतना तो तय है कि इन घटनाओं ने उनके सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. अब देखना यह है कि योगी आदित्यनाथ इन चुनौतियों का कैसे सामना करते हैं और क्या उन्हें जनता का समर्थन फिर से हासिल करने में कामयाबी मिलती है.

निजी अनुभव और राय:

मैं एक यूपीवासी हूं और मैंने पिछले कुछ महीनों में यूपी में हो रही घटनाओं को करीब से देखा है. मेरा मानना है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाने में कुछ हद तक सफलता हासिल की है. लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है.

मैं यह भी मानता हूं कि विपक्ष योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन मुझे लगता है कि योगी आदित्यनाथ को भी अपनी सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचनाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में राजनीतिक माहौल काफी गरमाया हुआ है. देखना यह है कि योगी आदित्यनाथ इन चुनौतियों का कैसे सामना करते हैं और क्या उन्हें जनता का समर्थन फिर से हासिल करने में कामयाबी मिलती है.

कॉल टू एक्शन:

मेरा आप सभी से अनुरोध है कि आप विधानसभा चुनाव में अपना वोट जरूर डालें. आपका वोट यूपी के भविष्य को तय करेगा.