यह 1982 की बात है। कोरियाई एयर उड़ान 007 एक नियमित अनुसूचित उड़ान पर थी जब इसे एक सोवियत लड़ाकू विमान द्वारा रोका गया था।
लड़ाकू विमान ने उड़ान को धमकी भरे संदेश भेजे, उसे अपने पाठ्यक्रम को बदलने और सोवियत हवाई क्षेत्र से दूर जाने का आदेश दिया।
उड़ान के चालक दल ने इन आदेशों को नजरअंदाज कर दिया, और विमान अपनी मूल दिशा में ही उड़ता रहा।
नतीजतन, सोवियत लड़ाकू विमान ने उड़ान पर हमला किया, जिससे उसमें सवार सभी 115 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई।
यह हमला एक त्रासदी थी, और इसने शीत युद्ध के तनावों को उजागर किया। लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि इस उड़ान को पहले ही धमकी दी जा चुकी थी।
अगर उड़ान के चालक दल ने सोवियत लड़ाकू विमान के आदेशों की बात मानी होती, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
यह कहानी हमें शीत युद्ध के खतरों की याद दिलाती है, और यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि संघर्ष को रोकने के लिए बातचीत और कूटनीति हमेशा सर्वोत्तम विकल्प होते हैं।