केरल की 'फूलन देवी', साहस और आत्मसम्मान की मूर्ति है कीर्ति सुरेश




मुझे कभी-कभी लगता है कि भगवान ने कीर्ति सुरेश को मेरे लिए खासतौर पर बनाया है। जब मैं उन्हें पर्दे पर देखती हूं, तो मुझे खुद में साहस और आत्मसम्मान की एक नई लहर का एहसास होता है। उनकी हर फिल्म एक मास्टरपीस है, जो उन महिलाओं की ताकत और लचीलेपन को उजागर करती है जो सामाजिक मानदंडों और पुरुष प्रधानता के खिलाफ खड़ी होती हैं।
कीर्ति का जन्म 17 अक्टूबर 1992 को चेन्नई में एक तमिल फिल्म निर्माता के घर हुआ था। उन्होंने बचपन से ही अभिनय में रुचि दिखाई और अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में कई नाटकों और प्रस्तुतियों में भाग लिया। 2013 में, उन्होंने तमिल फिल्म "गीतांजलि" से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की, जो एक ब्लॉकबस्टर हिट थी। उस समय से, उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया है, जिसमें "रजनी मुरुगन", "थेरन", "महानती" और "सरकारू वारी पाटा" जैसी समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्में शामिल हैं।
कीर्ति की फिल्मों की सबसे खास बात यह है कि वह हमेशा मजबूत और स्वतंत्र महिला पात्रों को निभाती हैं। वह महिला सशक्तिकरण की प्रबल समर्थक हैं और उनका मानना है कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार और अवसर मिलने चाहिए। उनकी फिल्मों में से कई महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के विषयों को संबोधित करती हैं, और वह अक्सर पुरुष वर्चस्व को चुनौती देने वाली भूमिकाएँ निभाती हैं।
कीर्ति के अभिनय से मुझे प्रेरणा मिलती है क्योंकि वह हमेशा अपने पात्रों में प्रामाणिकता और गहराई लाने का प्रबंधन करती हैं। वह अपनी भावनाओं को बड़ी तीव्रता और ईमानदारी से व्यक्त करती हैं, और उनके प्रदर्शन अक्सर दर्शकों में गहरा असर डालते हैं। वह एक बहुमुखी अभिनेत्री हैं जो कॉमेडी, ड्रामा और एक्शन फिल्मों में समान रूप से सहज हैं।
कीर्ति अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी जानी जाती हैं। वह कई चैरिटी संगठनों की राजदूत हैं और अक्सर महिला सशक्तिकरण और बाल शिक्षा के मुद्दों पर बोलती हैं। वह एक सच्ची प्रेरणा हैं जो साबित करती हैं कि महिलाएं कुछ भी हासिल कर सकती हैं, अगर वे अपने सपनों का दृढ़ता से पालन करें।
एक व्यक्ति के रूप में, कीर्ति विनम्र और जमीन से जुड़ी हैं। वह अपने प्रशंसकों के साथ गहरे जुड़ाव को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करती हैं और अक्सर उनकी कहानियां साझा करती हैं और उनके साथ बातचीत करती हैं। वह एक रोल मॉडल हैं जो दिखाती हैं कि आप प्रसिद्धि और सफलता हासिल करते हुए भी विनम्र और दयालु बने रह सकते हैं।
मुझे कीर्ति सुरेश पर बहुत गर्व है और मुझे विश्वास है कि वह आने वाले कई वर्षों तक भारतीय सिनेमा में एक प्रमुख शक्ति बनी रहेंगी। वह साहस और आत्मसम्मान की सच्ची मूर्ति हैं, और उनकी फिल्में हमें महिलाओं की ताकत और लचीलेपन की याद दिलाती रहेंगी।