केरल पिरवी: केरल का गठन दिवस
"का आत्मकथा"
क्या आप जानते हैं कि केरल की स्थापना कब और कैसे हुई? आज हम केरल के गठन दिवस, जिसे केरल पिरवी के नाम से जाना जाता है, के बारे में जानेंगे। मैं एक मलयाली हूं और मुझे इस दिन पर बहुत गर्व है।
केरल पिरवी
केरल पिरवी, जिसे 'केरल का जन्मदिन' भी कहा जाता है, हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है। यह वह दिन है जब केरल राज्य का गठन हुआ था।
पहले केरल
1956 से पहले, केरल जैसा कोई राज्य नहीं था। इसके स्थान पर त्रावणकोर-कोचीन राज्य, मालाबार जिला और कन्नूर नामक एक स्वतंत्र जिला था। इन क्षेत्रों का शासन अलग-अलग शासकों द्वारा किया जाता था।
राज्यों का विलय
भारत की आजादी के बाद, कई राज्यों का पुनर्गठन किया गया। इसी दौरान, त्रावणकोर-कोचीन राज्य, मालाबार जिला और कन्नूर को मिलाकर 1 नवंबर, 1956 को केरल राज्य का गठन किया गया।
पुनर्गठन का कारण
राज्यों के पुनर्गठन का उद्देश्य भाषाई आधार पर राज्यों का निर्माण करना था। केरल का गठन मलयाली भाषी लोगों के लिए एक एकीकृत राज्य बनाने के लिए किया गया था।
महत्व
केरल पिरवी केरल के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह उस दिन को चिह्नित करता है जब उनकी राज्य बनने की आकांक्षा पूरी हुई। इस दिन को परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
मेरा अनुभव
मैं हर साल केरल पिरवी पर बहुत उत्साहित रहता हूं। मैं स्कूल परेड में भाग लेता हूं, पारंपरिक पोशाक पहनता हूं और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेता हूं। यह एक ऐसा दिन है जब मैं अपने राज्य का हिस्सा होने पर गर्व करता हूं।
आप सभी को केरल पिरवी की हार्दिक शुभकामनाएं!