भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के सितारों की आकाशगंगा में, क्रिस गोपालकृष्णन एक चमकते सितारे हैं। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और अभिनव विचारों ने भारतीय आईटी क्षेत्र को आकार दिया है और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को ऊंचा किया है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षाक्रिस गोपालकृष्णन का जन्म 1948 में त्रिवेंद्रम, केरल में हुआ था। उनके पिता एक गणितज्ञ थे और उनकी माँ एक शिक्षिका थीं। उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद से एमबीए किया।
इंफोसिस की स्थापना1981 में, गोपालकृष्णन 6 अन्य उद्यमियों के एक समूह के साथ, जो बाद में इंफोसिस नामक एक छोटी सॉफ्टवेयर कंपनी के सह-संस्थापक बने। उनके नेतृत्व में, इंफोसिस तेजी से एक वैश्विक आईटी दिग्गज बन गया, जिसने भारत को सॉफ्टवेयर आउटसोर्सिंग के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नवाचार और नेतृत्वगोपालकृष्णन एक दूरंदेशी नेता हैं जो नवाचार और ग्राहक केंद्रितता पर जोर देते हैं। उनके मार्गदर्शन में, इंफोसिस ने कई अभिनव उत्पादों और सेवाओं को विकसित किया जो उद्योग के मानकों को निर्धारित करते हैं। वह अपनी उत्कृष्ट प्रबंधकीय क्षमताओं और टीमों को प्रेरित करने की क्षमता के लिए भी जाने जाते हैं।
सामाजिक उत्तरदायित्वगोपालकृष्णन का मानना है कि व्यवसायों का समाज के प्रति दायित्व है। उन्होंने कई सामाजिक और परोपकारी पहलों का समर्थन किया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना शामिल है। उनका दृढ़ विश्वास है कि व्यवसायों को उनके समुदायों में एक सकारात्मक बल होना चाहिए।
पुरस्कार और मान्यतागोपालकृष्णन को उनके असाधारण योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। 2011 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें टाइम पत्रिका द्वारा दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक के रूप में भी नामित किया गया था।
विरासतक्रिस गोपालकृष्णन भारतीय आईटी उद्योग में एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं। उनकी दूरदृष्टि, नवाचार और नेतृत्व ने उद्योग को आकार देने और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका कार्य कई उद्यमियों के लिए एक मार्गदर्शक सितारा रहा है, और भारतीय आईटी उद्योग पर उनका प्रभाव आने वाले कई वर्षों तक महसूस किया जाएगा।
गोपालकृष्णन का एक उद्धरण: