डॉक्टरों का कहना है कि वे अब अपनी सुरक्षा को ताक पर रखकर मरीजों का इलाज नहीं कर सकते। वे उचित सुरक्षा उपायों, जैसे कि प्रत्येक अस्पताल परिसर में पुलिस चौकियों और आपातकालीन बटन की मांग कर रहे हैं।
हड़ताल का दूसरा प्रमुख मुद्दा वेतन और भत्ते हैं। डॉक्टरों का तर्क है कि वर्तमान वेतन मानक उनकी योग्यता और कौशल के अनुरूप नहीं है। वे अपने काम के घंटों के लिए बेहतर मुआवजा और भत्तों की माँग कर रहे हैं।एक महिला, जिसकी मां को दिल की बीमारी है, कहती है, "मेरी मां को तत्काल सर्जरी की जरूरत है, लेकिन डॉक्टर हड़ताल पर हैं। मुझे नहीं पता कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं अपनी मां को मरते हुए नहीं देख सकती।"
सरकार डॉक्टरों की मांगों पर विचार करने और उनके साथ एक संतोषजनक समाधान पर पहुंचने के लिए दबाव में है। लेकिन अभी तक हड़ताल खत्म होने के कोई संकेत नहीं हैं।
हड़ताल की इस दुखद स्थिति ने कोलकाता में मरीजों के अधिकारों को उठाया है। स्वास्थ्य देखभाल एक बुनियादी मानव अधिकार है, और किसी भी परिस्थिति में इसे नहीं छीना जाना चाहिए। सरकार और डॉक्टरों दोनों को मरीजों की भलाई के लिए शीघ्र ही एक समाधान खोजने की जरूरत है।
इस हड़ताल से हमें यह भी याद दिलाया जाता है कि हमारे डॉक्टर अक्सर हमारे समाज में गुमनाम नायक होते हैं। वे हमारे जीवन को बचाते हैं, हमारी बीमारियों का इलाज करते हैं और हमारी भलाई सुनिश्चित करते हैं। वे सम्मान, उचित प्रतिपूर्ति और, सबसे importantly, इस बात की गारंटी के पात्र हैं कि वे अपने कर्तव्यों को सुरक्षित वातावरण में पूरा कर सकते हैं।