हाल ही में कोलकाता के एक डॉक्टर ने अपनी जान दे दी, जिससे शहर में सदमा और दुख की लहर दौड़ गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉक्टर अत्यधिक कार्यभार और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।
इस घटना ने एक बार फिर हेल्थकेयर इंडस्ट्री में व्याप्त मानसिक स्वास्थ्य संकट पर प्रकाश डाला है। डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी अक्सर तनाव, बर्नआउट और डिप्रेशन का अनुभव करते हैं। लंबे काम के घंटे, मांग वाले कार्यक्रम और रोगियों के दुख से निपटना उन पर बहुत दबाव डाल सकता है।
इसके अलावा, सीओवीआईडी -19 महामारी ने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों पर एक और बोझ डाल दिया है। उन्होंने संक्रमित रोगियों की भारी संख्या, सुरक्षात्मक उपकरणों की कमी और मृत्यु दर में वृद्धि का सामना किया है। इसने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
यह दुखद मामला एक अनुस्मारक है कि हमें अपने स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों की भलाई के बारे में अधिक जागरूक होना चाहिए। हमें उन्हें आवश्यक समर्थन और संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और कार्य-जीवन संतुलन तक पहुंच शामिल है।
हमारे डॉक्टर और नर्स हमारे समुदाय के स्तंभ हैं। उन्हें अपने काम को सर्वोत्तम तरीके से करने के लिए आवश्यक समर्थन और देखभाल देने के लिए हमारी ज़िम्मेदारी है। हम सभी को उनके मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए एक साथ काम करना चाहिए, ताकि वे स्वस्थ और पूर्ण जीवन जी सकें।