कोविशील्ड
आजकल "कोविशील्ड" नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। "कोविशील्ड" भारत में इस्तेमाल होने वाले कोरोना वैक्सीन में से एक है। इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। "कोविशील्ड" ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का भारतीय संस्करण है।
"कोविशील्ड" एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है। इसमें एक कमजोर किया हुआ एडिनोवायरस होता है जिसमें कोरोनावायरस का स्पाइक प्रोटीन बनाने वाला जीन होता है। जब यह वैक्सीन हमारे शरीर में इंजेक्ट की जाती है, तो एडिनोवायरस हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करता है और स्पाइक प्रोटीन बनाता है। इससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोनावायरस को पहचानती है और उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाती है।
"कोविशील्ड" वैक्सीन दो खुराक में दी जाती है। पहली खुराक के लगभग 8 सप्ताह बाद दूसरी खुराक दी जाती है। "कोविशील्ड" वैक्सीन कोरोनावायरस से 70% तक प्रभावी पाया गया है। इसका मतलब है कि वैक्सीन लेने वाले लोगों में कोरोनावायरस से बीमार होने की संभावना 70% कम होती है।
"कोविशील्ड" वैक्सीन आमतौर पर सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन की जाने वाली है। इसके कुछ सामान्य दुष्प्रभावों में इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, बुखार, थकान और सिरदर्द शामिल हैं। ये दुष्प्रभाव आमतौर पर कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं।
यदि आप अभी तक कोविशील्ड वैक्सीन नहीं लगवाए हैं, तो मैं आपको जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने की सलाह दूँगा। "कोविशील्ड" वैक्सीन आपको कोरोनावायरस से गंभीर रूप से बीमार होने से बचा सकती है। यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती है और कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने में मदद करती है।
कोरोनावायरस महामारी से लड़ने के लिए टीकाकरण एक महत्वपूर्ण उपकरण है। "कोविशील्ड" वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है, और यह कोरोनावायरस से आपकी रक्षा करने में मदद कर सकती है। यदि आपके मन में वैक्सीन के बारे में कोई प्रश्न हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें।