कश्मीर की लड़ाई: कारगिल विजय की कहानी
आज से 23 साल पहले, एक ऐसी जंग लड़ी गई जिसने भारत के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। कारगिल की लड़ाई, जिसे अक्सर "भारत की विजय" के रूप में जाना जाता है, पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ भारतीय सेना की एक उल्लेखनीय जीत थी।
इस कहानी की शुरुआत 1999 की गर्मियों में हुई, जब भारतीय खुफिया को पता चला कि पाकिस्तानी सैनिक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके कारगिल के रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा कर रहे हैं। भारतीय सेना ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, और एक संघर्ष शुरू हुआ जो दो महीने तक चला।
भारतीय सेना की चुनौतियाँ
कारगिल की लड़ाई भारतीय सेना के लिए कई चुनौतियों से भरी हुई थी। सबसे पहले, घुसपैठियों ने ऊँचे और दुर्गम इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया था, जिससे उन्हें एक फायदा मिला। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तानी सेना को पाकिस्तानी वायु सेना से हवाई सहायता मिल रही थी।
इसके बावजूद, भारतीय सेना ने इन चुनौतियों का सामना करने का संकल्प लिया। जमीनी सैनिकों ने दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने के लिए पहाड़ी इलाकों पर कठिन चढ़ाई की, जबकि वायु सेना ने पाकिस्तानी विमानों को हवाई क्षेत्र से बाहर रखने के लिए हवाई हमले किए।
मुश्किल भरी चढ़ाई
कारगिल की चोटियों पर चढ़ना एक बेहद मुश्किल काम था। सैनिकों को न केवल दुश्मन की गोलियों का सामना करना पड़ा, बल्कि उन्हें बर्फ, बर्फ और पतली हवा की भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
एक सैनिक, कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। वह अपने साहस और दृढ़ संकल्प के लिए जाने जाते थे।
एक अन्य सैनिक, मेजर संजय कुलकर्णी, कई घंटों तक अकेले लड़े और 8 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया।
अंततः जीत
दो महीने की कठिन लड़ाई के बाद, भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल की ऊंचाइयों से खदेड़ दिया। कारगिल की जीत भारत के लिए एक बड़ी जीत थी और यह भारतीय सेना के साहस और बलिदान की गवाही थी।
भारत के लिए एक प्रेरणा
कारगिल की लड़ाई भारत के लिए एक प्रेरणा थी। यह एक ऐसा समय था जब पूरा देश एकजुट हुआ, और सैनिकों को उनके बलिदान के लिए सराहा गया। युद्ध ने राष्ट्रीय एकता और गौरव की भावना पैदा की।
वर्तमान
आज, कारगिल विजय दिवस भारत में हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह हमारे सैनिकों के बलिदानों को याद करने और युद्ध में उनकी जीत का जश्न मनाने का एक दिन है। कारगिल की कहानी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, और यह हमें याद दिलाती है कि हम राष्ट्रीयता और अखंडता के लिए किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।