केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक स्थापित नाम हैं। उन्होंने एक साधारण कार्यकर्ता से राज्य के उपमुख्यमंत्री बनने तक की एक असाधारण यात्रा तय की है। एक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता के रूप में, मौर्य ने अपने समुदाय के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम किया है, जो सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की बाधाओं को पार कर चुके हैं।
यूपी के प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे मौर्य का बचपन संघर्षों से भरा था। अपने पिता को कम उम्र में ही खो देने के बाद, उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जल्द ही काम करना शुरू करना पड़ा। उन्होंने दूध बेचने और एक छोटी सी चाय की दुकान चलाने जैसे विषम कार्य किए।
राजनीति में मौर्य की धीमी और स्थिर शुरुआत हुई। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में की। अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए जाने जाने वाले मौर्य धीरे-धीरे पार्टी के रैंकों में ऊपर उठे।
हालांकि, उनकी यात्रा हमेशा आसान नहीं थी। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक बाधाओं का सामना किया, क्योंकि उनका ओबीसी समुदाय अक्सर उपेक्षित और हाशिए पर रखा जाता रहा है। लेकिन मौर्य ने हार नहीं मानी और लगातार अपने लक्ष्यों की दिशा में काम करते रहे।
2012 में, मौर्य को यूपी विधानसभा का सदस्य चुना गया। वह पार्टी की अन्य पिछड़ी जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने। इस भूमिका में, उन्होंने ओबीसी समुदाय के अधिकारों और आकांक्षाओं के लिए एक मजबूत आवाज उठाई।
मौर्य की मेहनत और समर्पण का फल 2017 में मिला, जब उन्हें यूपी के उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। इस पद पर, उन्होंने सरकार की विभिन्न पहलों की देखरेख की, जिसमें जातिगत जनगणना और गरीबों के लिए आवास योजनाएं शामिल हैं।
उपमुख्यमंत्री के रूप में अपनी सफलता के बाद, मौर्य ने राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें 2019 में राज्यसभा के लिए चुना गया। वह पार्टी के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर, मौर्य ने सामाजिक न्याय, ओबीसी अधिकारों और किसानों के कल्याण के मुद्दों पर मुखरता से बात की है। उन्होंने सरकार से इन समुदायों के कल्याण के लिए और अधिक करने का आग्रह किया है।
केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं। उनकी यात्रा साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी ऊंचाइयों को हासिल कर सकता है, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। उनका उदय राजनीति में ओबीसी के बढ़ते प्रभाव का भी संकेत है।
मौर्य ओबीसी समुदाय के लिए एक रोल मॉडल हैं। उन्होंने सामाजिक बाधाओं को तोड़ा है और अपने समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाई है। वह एक जीवंत और समावेशी समाज के निर्माण में विश्वास करते हैं, जहां सभी को समान अवसर और सम्मान मिलता है।
केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी नेतृत्व की एक मजबूत आवाज हैं। उन्होंने साबित किया है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी बाधाओं को तोड़ सकता है। ओबीसी समुदाय के लिए एक प्रेरणा के रूप में, उनका उदय राजनीति में सामाजिक न्याय और समावेशिता के महत्व को दर्शाता है।
अपनी राजनीतिक यात्रा में, मौर्य ने अपने समुदाय के अधिकारों और आकांक्षाओं के लिए लगातार लड़ाई लड़ी है। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से बदलाव लाने में विश्वास करते हैं। ओबीसी नेतृत्व के लिए एक मजबूत आवाज के रूप में, केशव प्रसाद मौर्य आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति बने रहने के लिए तैयार हैं।