कृष्ण जन्माष्टमी:




*"कृष्ण जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा"*

जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। इस वर्ष, जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जा रही है। आज हम आपको भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनाएँगे, जो सदियों से हिंदुओं द्वारा सुनाई जाती रही है।

कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था। उस समय पृथ्वी पर अधर्म और अत्याचार का बोलबाला था। पापियों का राज था। तब स्वयं भगवान विष्णु ने मानव रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया।

कंस नाम का एक दुष्ट राजा मथुरा पर राज करता था। वह अपने चचेरे भाई वसुदेव और उनकी पत्नी देवकी को कैद में रखता था। कंस को एक भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। इसलिए, उसने देवकी के सभी बच्चों को जन्म लेते ही मार डाला।

जब देवकी के आठवें पुत्र का जन्म हुआ, तो भगवान विष्णु ने अपने योगमाया शक्ति से उस शिशु को वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ से बदल दिया। यह शिशु बालराम नाम से प्रसिद्ध हुआ।

इसी रात, विष्णु भगवान श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के सामने प्रकट हुए। उन्होंने देवकी और वसुदेव को बताया कि वह उनके आठवें पुत्र हैं और कंस का वध करने आए हैं।

वसुदेव श्रीकृष्ण को अपनी गायों के पास ले गए और उसे एक टोकरी में छिपा दिया। यमुना नदी की बाढ़ से श्रीकृष्ण को पार कराने के लिए शेषनाग स्वयं पुल बने। वसुदेव ने श्रीकृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा को सौंप दिया, जो साधारण ग्वाले थे।

कंस को जब पता चला कि श्रीकृष्ण जीवित है, तो उसने कई बार उनकी हत्या करने की कोशिश की। लेकिन श्रीकृष्ण ने हर बार उनकी चालों को नाकाम कर दिया। अंत में, श्रीकृष्ण ने कंस से युद्ध किया और उसका वध किया।

  • जन्माष्टमी का महत्व: जन्माष्टमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाने और उनकी शिक्षाओं का पालन करने का दिन है।

जन्माष्टमी समारोह: जन्माष्टमी पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। लोग उपवास रखते हैं और श्रीकृष्ण की कथा सुनते हैं। रासलीलाएँ की जाती हैं और भजन-कीर्तन किए जाते हैं।

श्रीकृष्ण की शिक्षाएँ: भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दीं। उन्होंने बताया कि कर्म करना हमारा कर्तव्य है, लेकिन इसके फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और हमारे जीवन को मार्गदर्शन करती हैं।

इस जन्माष्टमी, आइए हम भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लें और उनके जन्म का जश्न उत्साह और भक्ति के साथ मनाएँ। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!