गोकरकोंडा नाग साईबाबा: एक सच्चे क्रांतिकारी के रूप में याद किया गया




गोकरकोंडा नाग साईबाबा, जिन्हें जी.एन. साईबाबा के नाम से जाना जाता था, एक भारतीय विद्वान, लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जिनका 12 अक्टूबर, 2024 को निधन हो गया था।

साईबाबा का जन्म 1967 में आंध्र प्रदेश के अमलापुरम में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी।

साईबाबा एक प्रमुख कार्यकर्ता थे, जो माओवादियों के साथ कथित संबंधों के लिए भारतीय अधिकारियों द्वारा उन पर मुकदमा चलाने के बाद सुर्खियों में आए थे। उन्हें 2017 में सत्र अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

हालाँकि, उच्च न्यायालय ने मार्च 2023 में साईबाबा और पाँच अन्य को बरी कर दिया था। उनकी रिहाई स्वागत योग्य ख़बर थी, लेकिन उनकी दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु ने कई लोगों को झकझोर दिया है।

साईबाबा एक प्रसिद्ध लेखक भी थे। उनकी कविताओं और पत्रों का संग्रह, "Why Do You Fear My Way So Much?", को व्यापक रूप से प्रशंसित किया गया था।

साईबाबा एक करिश्माई वक्ता थे, जो अपने विचारों और विचारधाराओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे। वे एक मज़बूत इरादे वाले और प्रतिबद्ध व्यक्ति थे, जो अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने के लिए समर्पित थे।

  • उनके कुछ उल्लेखनीय उद्धरण हैं:
  • "क्रांति एक सतत प्रक्रिया है। यह एक मंज़िल नहीं है, बल्कि एक रास्ता है।"
  • "सच्ची क्रांति लोगों की आकांक्षाओं और सपनों की पूर्ति में निहित है।"
  • "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे व्यक्तिगत संघर्ष भारत की लाखों की जनता के सामूहिक संघर्ष से जुड़े हुए हैं।"

साईबाबा की मृत्यु एक wielde रिक्तता है। वह एक सच्चे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन को छुआ। उनकी विरासत आने वाले कई सालों तक प्रेरणा देती रहेगी।

वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो हमेशा मज़दूरों, किसानों और गरीबों के पक्ष में खड़े रहे। उन्होंने अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाई और एक अधिक न्यायपूर्ण और समान समाज के लिए लड़ाई लड़ी।

गोकरकोंडा नाग साईबाबा को एक सच्चे क्रांतिकारी और नायक के रूप में याद किया जाएगा। उनकी विरासत भारत में और दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करना जारी रखेगी।