गंगौर: राजस्थान के रंगीन त्योहार का अनोखा आकर्षण




राजस्थान के रंगीन और जीवंत त्योहारों में से एक, गंगौर, ने सदियों से कला, संस्कृति और परंपरा का जश्न मनाया है। इस आकर्षक उत्सव का आयोजन चैत्र महीने में आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार वसंत ऋतु का पहला महीना होता है।
गंगौर का पर्व मुख्य रूप से भगवती गौरी (पार्वती) और भगवान शंकर (शिव) को समर्पित है। यह त्योहार महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो अपने पति की लंबी उम्र, खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।
इस उत्सव का प्रारंभ लकड़ी के ढांचे पर मिट्टी से बनी गौरी और शंकर की प्रतिमाओं को बनाने से होता है। ये प्रतिमाएं साड़ी पहने हुए महिलाओं और रंगीन कपड़ों में सजे पुरुषों के रूप में सजी होती हैं।
गंगौर के दौरान महिलाएं नौ दिनों तक भजन गाती हैं और नृत्य करती हैं। वे पारंपरिक राजस्थानी पोशाक पहनती हैं और अपने हाथों और पैरों पर मेंहदी लगाती हैं। इस दौरान, घरों को फूलों और रंगोली से सजाया जाता है, जो त्योहार के आनंदमय वातावरण में चार चांद लगाते हैं।
त्योहार के आठवें दिन, महिलाएं सजी-धजी प्रतिमाओं को सिर पर उठाकर गीत गाती हुई और नृत्य करती हुई गांव या शहर की सड़कों पर जुलूस निकालती हैं। इस जुलूस में पुरुष ढोल और नगाड़े बजाते हैं, जिससे वातावरण में उत्साह और उल्लास का संचार होता है।
जुलूस के बाद, प्रतिमाओं को नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है, जो इस तथ्य का प्रतीक है कि गौरी और शंकर पवित्र जल में वापस लौट रहे हैं। महिलाएं भगवान से प्रार्थना करती हैं और उनके प्रति अपने भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती हैं।
गंगौर न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह सामाजिक मिलन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी एक अवसर है। यह त्योहार राजस्थान की समृद्ध विरासत और संस्कृति का एक जीवंत प्रदर्शन है।
गंगौर भी महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह त्योहार महिलाओं को अपने पतियों के साथ बराबरी का दर्जा प्रदान करता है और उन्हें अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में भाग लेने का मौका देता है।
इसके अतिरिक्त, गंगौर राजस्थान के शिल्प कौशल को प्रदर्शित करने का एक मंच है। त्योहार के दौरान, स्थानीय कारीगर खूबसूरत मिट्टी की प्रतिमाएं, रंगीन वस्त्र और अन्य शिल्प वस्तुएं बनाते हैं। ये शिल्प न केवल त्योहार की शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान करते हैं।
गंगौर एक ऐसा त्योहार है जो राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को जीवंत करता है। यह खुशी, भक्ति और सामाजिक जुड़ाव का एक उत्सव है। इस रंगीन और मनोरंजक त्योहार के आकर्षण का अनुभव करने के लिए आगंतुकों और स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में राजस्थान आते हैं।