गंगौर 2024




राजस्थान में होली के बाद आने वाले त्योहारों में गंगौर का विशेष स्थान है। यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं का त्यौहार माना जाता है और इसकी धूम पूरे राजस्थान में देखने को मिलती है।

गंगौर का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया से शुरू होकर एक पखवाड़े तक चलता है। इस साल गंगौर का त्योहार 10 मार्च, 2024 से शुरू होने जा रहा है।

इस त्यौहार की विशेषता यह है कि इसमें महिलाएं गंगौर माता (गौरी) की पूजा करती हैं। गौरी शिव की पत्नी हैं और उन्हें विवाह, सौभाग्य और संतान की देवी माना जाता है।

गंगौर के त्यौहार के दौरान महिलाएं रंग-बिरंगे वस्त्र पहनती हैं और गीत गाती हुई गंगौर की पूजा करती हैं। साथ ही, इस त्यौहार के दौरान मेले लगते हैं, जहां महिलाएं खरीदारी और मनोरंजन करती हैं।

गंगौर के त्यौहार की एक खास बात यह भी है कि इसमें युवतियां मंगल गीत गाती हैं। ये गीत पारंपरिक रूप से गाए जाते हैं और इनमें गौरी माता की महिमा और उनके विवाहित जीवन की कथाओं का वर्णन होता है।

राजस्थान में गंगौर का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार राजस्थानी संस्कृति की एक झलक देता है और इसकी तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है।

अगर आप राजस्थान की समृद्ध संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं, तो गंगौर का त्यौहार एक बेहतरीन अवसर है। इस दौरान आप राजस्थानी लोकगीतों, नृत्यों और रंग-बिरंगे परिधानों का लुत्फ उठा सकते हैं।

गंगौर का त्यौहार और महिलाओं का सशक्तिकरण

गंगौर का त्यौहार सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण का भी प्रतीक है।

इस त्यौहार के दौरान महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर गीत गाती हैं, पूजा करती हैं और मनोरंजन करती हैं। इससे उनमें एकजुटता और आपसी बंधन की भावना पैदा होती है।

इसके अलावा, गंगौर का त्यौहार महिलाओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं को मनाने का मौका देता है। इससे उनमें आत्मविश्वास और अपनेपन की भावना पैदा होती है।

गंगौर का त्यौहार महिलाओं को अपनी रचनात्मकता और कलात्मकता दिखाने का भी मौका देता है। इस दौरान महिलाएं रंग-बिरंगे वस्त्र पहनती हैं, गीत लिखती हैं और नृत्य करती हैं। इससे उन्हें अपनी प्रतिभा को व्यक्त करने का मौका मिलता है।

इसलिए, गंगौर का त्यौहार सिर्फ एक धार्मिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके सामाजिक-सांस्कृतिक विकास का भी प्रतीक है।