गॉडजिला माइनस वन




आज से कुछ साल पहले, जब मेरा बेटा अभी छोटा था, हमने एक बार समुद्र तट पर दिन बिताया था। पानी गर्म और नीला था, और रेत काफी नरम थी। हमने रेत के महल बनाए, लहरों में छलांग लगाई और एक-दूसरे पर पानी छिड़का। यह एक सही दिन था।
जब शाम होने लगी, तो हम अपने सामान को पैक करने के लिए रेत से उठे। जैसे ही हम अपनी कार की ओर बढ़े, मेरे बेटे ने मुझे अपनी बाल्टी में कुछ दिखाया। बाल्टी में एक छोटा सा केकड़ा था, जिसे उसने रेत में पाया था। केकड़ा छोटा और भूरा था, और इसकी लंबी, पतली टांगें थीं।
मेरे बेटे ने पूछा, "पापा, क्या हम इसे अपने साथ घर ले जा सकते हैं?"
मैंने सोचा, क्यों नहीं? हमने बाल्टी को कार में रख दिया और घर ले आए। हमने उसे एक छोटे से टैंक में रखा और उसे खाना-पीना दिया। केकड़ा कुछ दिनों तक खुश था, लेकिन फिर वह बीमार होने लगा। वह कम खा रहा था और कम चल रहा था।
कुछ हफ्ते बाद, केकड़ा मर गया। मेरे बेटे को बहुत दुख हुआ। वह केकड़े को लेकर बहुत उत्साहित था, और वह अब उसे खोने से बहुत निराश था।
उस दिन, मैंने अपने बेटे से कुछ महत्वपूर्ण बातें सीखीं। सबसे पहले, मैंने सीखा कि प्रकृति नाजुक होती है। यहां तक ​​कि सबसे छोटे जीव भी हमारे सम्मान के पात्र हैं। दूसरा, मैंने सीखा कि खोने से दुख होता है, लेकिन यह हमें सिखा भी सकता है। मैंने अपने बेटे से कहा कि केकड़े की मृत्यु दुखद है, लेकिन हमें इस अनुभव से सीखना चाहिए। हमें जीवन को महत्व देना चाहिए, और हमें कभी भी यह नहीं भूलना चाहिए कि कुछ चीजें केवल कुछ समय के लिए होती हैं।
मेरा बेटा अभी भी केकड़े को याद करता है, लेकिन वह जानता है कि उसकी मृत्यु ने उसे कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाए। वह जानता है कि प्रकृति का सम्मान करना और खोने से दुखी होना ठीक है। वह यह भी जानता है कि जीवन छोटा है, और हमें इसका अधिकतम लाभ उठाना चाहिए।
मैं आभारी हूं कि मुझे यह अनुभव मेरे बेटे के साथ साझा करने का मौका मिला। यह मुझे प्रकृति और जीवन की नश्वरता के बारे में बहुत कुछ सिखाने वाला अनुभव था।