गुडी पाडवा




ना भाई, गुडी पाडवा का दिन ही कुछ और होता है। पतंगों का रंगीन आसमान, ढोल-ताशों की थाप, परंपराओं का उल्लास, और नई उमंगों के आगमन की खुशियाँ। इस दिन घर-आँगन गुडी सजाकर स्वागत करते हैं नए साल का। नए अनाज की खुशबू से महकते घरों में गूँजते हैं ढोलक के सुर और गूँजे जाते है गणपति के नाम।
नई शुरुआत का दिन
पहले गुडी पाडवा ही हिंदुओं के लिए साल का पहला दिन माना जाता था। इस दिन सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही नई शुरुआत होती थी। नई फसल और नई उम्मीदों के साथ शुरू होता था एक नया साल। इसलिए इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और सजाते हैं रंग-बिरंगे फूलों से।
गुडी की कहानी
गुडी पाडवा के दिन हर घर के ऊपर एक गुडी लहराती है। यह एक लंबी बांस की डंडी होती है जिस पर लाल, हरा, पीला और सफेद रंग के कपड़े लिपटे होते हैं। गुडी के ऊपर एक तांबे का कलश और उस पर निंबू और आम के पत्ते होते हैं। यह गुडी विजय का प्रतीक मानी जाती है।
पतंगों का उल्लास
गुडी पाडवा के दिन आसमान पतंगों से पटा होता है। रंग-बिरंगी पतंगें हवा में लहराती हैं और बच्चे-बड़े मिलकर ढोल-ताशों की थाप पर पतंग उड़ाते हैं। यह उल्लास और खुशी का प्रतीक है।
ढोल-ताशों की थाप
गुडी पाडवा के दिन ढोल-ताशों की आवाज पूरे वातावरण को गुंजायमान कर देती है। लोग ढोलक के सुरों पर थिरकते हैं और गुडी के नीचे नाच-गाकर खुशियों का इजहार करते हैं।
गणपति का पूजन
गुडी पाडवा के दिन गणपति जी का पूजन किया जाता है। लोग सुबह उठकर स्नान करके गणपति जी की मूर्ति को स्थापित करते हैं। उन्हें मोदक और अन्य व्यंजन चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
नवरात्रि का प्रारंभ
गुडी पाडवा के दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है। यह नौ दिनों का त्यौहार है जिसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
गुडी पाडवा की शुभकामनाएँ
इस गुडी पाडवा पर आप सभी के जीवन में खुशियाँ और समृद्धि आए। यह नया साल आपके लिए नई उमंगें और नई उपलब्धियाँ लेकर आए।